
BIHAR:- के.के. पाठक ने आते ही दिखाया अपना पावर, जिलाधिकारियों ने ठंड में स्कुलों में पढ़ाई बंद रखने का आदेश लिया वापस, जेपी सेनानी हनुमान राउत ने कहा- ठंड में बच्चों को कुछ होता है, तो जिम्मेदार कौन होगा
मधुबनी- 21 जनवरी। षिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव के.के. पाठक के आते ही शिक्षा विभाग ही नही, बल्कि जिलाधिकारी भी अपने-अपने फैसले को वापस लेने लगे है। मधुबनी जिलाधिकारी सहित कई जिलों के जिला पदाधिकारी ने बढ़ते ठंड को देखते हुए सरकारी एवं निजी स्कुलों के वर्ग 01 से 08 तक में बच्चों की पढ़ाई बंद रखने को आदेष दिया था। परंतू षिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव के.के. पाठक आते ही बिहार के सभी प्रमंडलीय आयुक्त को लेटर जारी कर कहा कि शिक्षा विभाग से बिना निर्देश के कोई भी फैसला नही लिया जाए। जिसके बाद राज्य के ज्यादातर जिलाधिकारी अपने आदेष को वापस लेते हुए स्कुलों को खुलने को आदेश जारी कर दिया है।
मालुम हो कि मधुबनी के जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा के द्वारा जिले में बढ़ते ठंड को देखते हुए 19 जनवरी से 22 जनवरी तक जिले के सभी सरकारी एवं निजी स्कुलों के कक्षा 1 से 8 तक के अलावा सभी आगनबाड़ी केन्द्रों में शैक्षणिक कार्य को बंद करने का आदेश दिया था। उन्होने अपने आदेश में कहा था कि जिले के सभी सरकारी एवं निजी स्कुलों में वर्ग आठ तक में पढ़ाई अगले आदेश तक बंद रखें। तथा स्कुलों के शिक्षक अपने-अपने स्कुल जाकर विभागीय कार्य करते रहेंगे। लेकिन जिलाधिकारी ने अपने जारी आदेश को वापस लेते हुए ज्ञापांक-269 दिनांक-20 जनवरी 24 के माध्यम से निर्देष दिया है कि षिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव पत्रांक-12/गो. दिनांक-20 जनवरी के आलोक में जिला के सभी सरकारी एवं निजी विधालयों में कक्षा आठ तक शैक्षणिक गतिविधियों पर लगाए गए रोक को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। जिले के सभी सरकारी एवं निजी स्कुलों में कक्षा 8 तक शैक्षणिक गतिविधियां अपने पूर्वनिर्धाति समयनुसार संचालित रहेंगे।
इधर षिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव के.के. पाठक के मनमाने आदेश की आलोचना करते हुए जेपी सेनानी हनुमान प्रसाद राउत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जिलाधिकारी को हर तरह के आपदा की स्थिति में फैसला लेने का अधिकार होता है। पुरे प्रदेश में इन दिनों शीतलहर चल रही है और स्कुल जाने में छोट-छोट बच्चों को काफी परेषानी हो रही है। जिसके मद्देनजर जिलाधिकारियों ने अपने अधिकार को प्रयोग करते हुए फैसला लिया था। लेकिन उनके फैसलों वापस लेने के लिए जो आदेष अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने जारी किया है, मैं उस फैसले की निंदा करता हुं। उन्होने कहा कि अगर शीतलहर में स्कुल जाने वाले बच्चों को कुछ होता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? उन्होने अपर मुख्य सचिव से मांग करते हुए कहा है कि जिलाधिकारियों को जो अधिकार है, उसमें हस्तक्षेप नही किया जाए। अगर हस्तक्षेप किया जाता है, तो आगे कि किसी भी तरह के आपदा में जिलाधिकारियों को फैसला लेने में कठिनाई होगी।



