बिहार

BIHAR:- सहरसा में उर्वरक निगरानी समिति की बैठक में बोले डीएम वैभव चौधरी, कहा- कोशी तटबंध के भीतर रहने वालों को 20 दिनों में जारी होगा उर्वरक का लाइसेंस

सहरसा-18 सितंबर। जिलाधिकारी वैभव चौधरी की अध्यक्षता में सोमवार को जिला उर्वरक निगरानी समिति की बैठक आयोजित की गई।

बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला परामर्शी एवं विधायक के प्रतिनिधि उपस्थित थे।आयोजित बैठक में जिला पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि जिले में 5479 440 एमटी यूरिया 723450 एमटी डीएपी सहित अन्य उर्वरक भरपूर मात्रा में उपलब्ध है।जो खरीफ मौसम के लिए पर्याप्त है। किसानों द्वारा उर्वरक की कमी की कोई शिकायत नहीं प्राप्त हुई है।

महिषी विधायक प्रतिनिधि भीम नारायण महतो ने जानकारी दी की इस बार उर्वरक के लिए किसानों को परेशान नहीं होना पड़ रहा है।जिला अधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी के कार्य की सराहना करते हुए आगे भी कार्य करते रहे।जिला कृषि अधिकारी द्वारा बताया गया कि उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। वर्तमान में किसानों द्वारा उर्वरक की मांग कम की जा रही है। जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि इस जिले में उपलब्ध उर्वरक की उपलब्धता एवं भौतिक मात्रा का सत्यापन अवश्य करा ले ताकि उर्वरक की उपलब्धता की वास्तविक मात्रा की जानकारी हो। जिला प्राधिकारी द्वारा सभी विक्रेताओं को विभाग के द्वारा प्राप्त मूल्य तालिका का उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।विधायक प्रतिनिधि द्वारा सुझाव दिया गया कि कोसी नदी तटबंध के भीतर उर्वरक अनुज्ञप्ति धारी दुकानदारों की संख्या नगण्य है एवं तटबंध के बाहर अवस्थित दुकानों पर उर्वरक का रेट चार्ट संधारित नहीं है जिससे किसानों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि तटबंध के अंदर किसानों को प्रोत्साहित कर उर्वरक दुकानों के लिए अनुज्ञप्ति बनाने हेतु आवेदन कराएं। विभागीय नियम अनुसार 20 दिनों के अंदर अनुज्ञप्ति निर्गत की जाएगी।

इससे प्रतिबंध के अंदर किसानों को उर्वरक की उपलब्धता में अधिक सहूलियत होगी। साथ ही अधिकांश उर्वरक दुकानों पर उर्वरक रेट चार्ट संधारित है।शेष अन्य दुकानों पर रेट चार्ट संधारित करने हेतु संबंधितों निर्देशित किया गया है। दीवार लेखन में संधारित्र रेट चार्ट में उर्वरक मूल्य तालिका के साथ प्रखंड कृषि पदाधिकारी पंचायत कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार का मोबाइल नंबर अंकित कराया जा रहा है। जिससे किसी प्रकार की परेशानी की स्थिति में किसान सीधे संपर्क स्थापित कर समस्या का निराकरण कर सकते हैं।

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