
BIHAR:- कांग्रेस और राजद के बीच सीटों का बंटवारा नहीं
पटना- 24 जनवरी। बिहार में 24 सीटों पर होने वाले बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर अब तक महागठबंधन के अंदर कांग्रेस और राजद के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। कांग्रेस के नेता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की ओर देख रहे हैं और उनसे मुलाकात कर फाइनल करना चाहते हैं। वहीं लालू चाहते हैं कि तेजस्वी यादव के साथ बैठकर इस पर सहमति बने। चर्चा यह भी है कि राजद सुप्रीमो कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेताओं से इस पर बातचीत नहीं करना चाहते। वे सोनिया गांधी या राहुल गांधी के स्तर पर इसे अंतिम रूप देना चाहते हैं। वह भी तेजस्वी यादव की मौजूदगी में।
कांग्रेस की बेचैनी बढ़ रही है। चर्चा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा अपने बेटे का राजनीतिक कैरियर संवारना चाहते हैं और उन्हें एमएलसी बनाना चाहते हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा का गुस्सा इसी को लेकर फूटा था कि पार्टी के प्रदेश स्तर के बड़े नेता कांग्रेस को मजबूत करने की बजाय अपने बच्चों को सेट करने में लग गए हैं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव और तारापुर व कुशेश्वर स्थान उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है और यह चुनाव झा के नेतृत्व में ही हुआ है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव के बाद इस बार को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इतनी अधिक सीटें देना महागठबंधन के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ।
मांझी-सहनी किनारे भाजपा-जदयू की विप सीट तय!
बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव को लेकर बिहार की सत्ताधारी गठबंधन में सिर फुटव्वल है। भाजपा 13 सीटों से कम पर तैयार नहीं तो जदयू 50:50 का फार्मूला चाह रही।सहयोगी दल वीआईपी,हम और रालोजपा भी अपनी हिस्सेदारी की मांग रही है। हालांकि भाजपा छोटे सहयोगी दलों को सीट देने को तैयार नहीं है। अब जदयू की तरफ से नई बात कही गई है। जदयू की तरफ से कहा गया है कि पहले भाजपा-जदयू के बीच सीटों का बंटवारा हो जाये इसके बाद अन्य सहयोगी दलों के एडजस्टमेंट पर बातचीत की जायेगी।
जदयू की तरफ से अधिकृत बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि भाजपा के नेताओं से हमारी बातचीत अंतिम दौर में है। यह सही है कि भाजपा 24 में 13 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसके पीछे का तर्क है कि भाजपा के पास 13 सीटिंग सीट है। जदयू 50-50 का फार्मूला चाह रही है। इस आधार पर दोनों दलों के हिस्से में 12-12 सीट आती है। लेकिन भाजपा इसके लिए तैयार नहीं। ऐसे में बीच का रास्ता निकाला जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि नया फार्मूला क्या होगा तो उन्होंने कहा कि बहुत जल्द इसके बारे में जानकारी दी जायेगी। बताया जाता है कि एक सीट पर ‘उम्मीदवार’ का एडजस्टमेंट हो सकता है।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि रास्ता तलाश लिया गया है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व से सहमति के बाद बहुत जल्द सीटों के समझौते की घोषणा हो जायेगी। जदयू के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पहले जदयू -भाजपा के बीच बात फाइनल तो हो जाये फिर सहयोगी दलों के एडजस्टमेंट पर बात होगी। भाजपा के सहयोगी के तौर पर मुकेश सहनी व पशुपति कुमार पारस की पार्टी है। वहीं जदयू के साथ मांझी जी का दल है। फिर हम दोनों दल इस पर विचार करेंगे।
बिहार के पशुपालन मंत्री व वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने सभी राजनीतिक दलों को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि जो भी पार्टी फिर चाहे वह भाजपा, जदयू, राजद या कांग्रेस यह समझती है कि वह हमारी पार्टी को खत्म कर देगी तो यह संभव नहीं है। वीआईपी को खत्म करना इतना आसान नहीं हैं। मुकेश सहनी ने कहा कि जो लोग सत्ता की कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठे हैं, उन्हें वह जगह खाली करनी होगी। क्योंकि अब लोग जागरूक हो गए हैं। पिछड़े समाज के लोग अपना हक लेना जान गए हैं। यह हमने विधानसभा चुनाव में दिखा दिया है।



