भारत

कपड़ा निर्यात आर्थिक वृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के लिए अहम: राधाकृष्णन

नई दिल्ली- 20 दिसंबर। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि कपड़ा निर्यात भारत की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण आधार है और विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में इसकी निर्णायक भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है, बल्कि करोड़ों लोगों को रोजगार और आजीविका भी प्रदान करता है।

उपराष्ट्रपति यहां परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के वार्षिक पुरस्कार समारोह में शामिल हुए और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले निर्यातकों को बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि परिधान एवं वस्त्र क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक सशक्त स्तंभ बना हुआ है, जो 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है और 10 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका को अप्रत्यक्ष रूप से सहारा देता है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग दो प्रतिशत का योगदान देता है और विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में इसकी हिस्सेदारी करीब 11 प्रतिशत है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मोदी सरकार ने वस्त्र और परिधान उद्योग को मजबूत बनाने के लिए बहुआयामी और दूरदर्शी नीतियां अपनाई हैं। उन्होंने पीएम मित्र पार्क, समर्थ कौशल विकास कार्यक्रम जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों से उद्योग को आधुनिक ढांचा, कुशल मानव संसाधन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने विजन 2030 के तहत इस क्षेत्र को एक वैश्विक पावरहाउस बनाने का रोडमैप प्रस्तुत किया है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की योजनाएं तभी सफल होती हैं, जब उद्योग जगत नवाचार, प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प के साथ आगे आए। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के इस दौर में भारतीय परिधान निर्यातकों ने जिस तरह से लचीलापन और प्रगति दिखाई है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार, मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ताओं सहित विभिन्न माध्यमों से उद्योग की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार संवाद कर रही है।

उपराष्ट्रपति ने परिधान उद्योग से एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजारों की सक्रिय रूप से तलाश करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने मूल्य संवर्धन पर जोर देने, निर्यात बास्केट में विविधता लाने, आयात पर निर्भरता कम करने, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने तथा सतत और पर्यावरण-अनुकूल निर्यात को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई।

उन्होंने कहा कि वस्त्र क्षेत्र श्रम-प्रधान है और कृषि के बाद देश में रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। ऐसे में उद्योग में श्रमिक कल्याण सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र के निर्यात दोगुने होने की संभावना है, जिससे बड़े पैमाने पर नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उपराष्ट्रपति ने भरोसा व्यक्त किया कि परिधान क्षेत्र ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका जन्म तिरुपुर में हुआ है, जो देश का प्रमुख होजरी और निटवियर केंद्र है, और उन्होंने इस उद्योग के विकास को नजदीक से देखा है। उन्होंने सांसद रहने और संसदीय स्थायी समिति की वस्त्र उप-समिति के सह-अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के दौरान इस क्षेत्र की चुनौतियों का अध्ययन करने और नीतिगत सुझाव देने के अनुभव को भी याद किया।

उपराष्ट्रपति ने सरकार और उद्योग के बीच सेतु की भूमिका निभाने के लिए एईपीसी की सराहना की और परिषद की कॉफी टेबल बुक ‘थ्रेड्स ऑफ टाइम: स्टोरी ऑफ इंडिया’स टेक्सटाइल्स’ का विमोचन भी किया। इस अवसर पर दिल्ली के उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, एईपीसी के चेयरमैन सुधीर सेखरी, उपाध्यक्ष डॉ. ए. साक्थिवेल सहित वस्त्र एवं परिधान उद्योग के कई गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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