भारत

गुलामी की मानसिकता त्यागें और कंधे से कंधा मिलाकर विकसित भारत बनाने में जुट जाएं: PM मोदी

अयोध्या- 25 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राम नगरी अयोध्या में वैदिक मंत्रों के बीच शुभ मुहूर्त में राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्मध्वजा फहराई। हवा में केसरिया ध्वज के फहरते ही पूरी अयोध्या ‘जय श्री राम’ के उद्घोष से गुंजायमान हो गई और पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत,राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित प्रख्यात साधु-संत और धर्माचार्य उपस्थित रहे।

सियावर राम चंद्र की जय बाेलकर राम मंदिर के ध्वजारोहण समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रभु श्री राम के व्यक्तित्व के विभिन्न रूपों का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार भगवान राम के आदर्शों पर चलकर समाज के सभी वर्ग के लोगों को विकास कर रही हैं। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे गुलामी मानसिकता को त्यागकर अपनी विरासत अपना कर विकसित भारत के लक्ष्य प्राप्ति के लिए साथ आएं।

भगवान राम के लिए कुल नहीं व्यक्ति महत्वपूर्ण

प्रधानमंत्री ने प्रभु राम की विशेषताओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रभु राम भाव से जुडते हैं, वे किसी व्यक्ति के कुल को नहीं देखते है। वे व्यक्ति को देखते हैं, तभी तो निषाद राज को अपना दोस्त बनाते हैं। शबरी के झूठे बेर खाते हैं । इसी भाव को लेकर आगे बढते हैं और पुरुषोत्तम राम बनते हैं। हमारी सरकार भी इसी भाव को लेकर बिना किसी धर्म—जाति देख विकास के केंद्र​बिंदु में काम कर ही है।

ओरछा से लेकर तमिलनाडु तक रामत्व की चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ओरछा के राजा राम से लेकर, रामेश्वरम के भक्त राम तक, और शबरी के प्रभु राम से लेकर, मिथिला के पाहुन राम जी तक, भारत के हर घर में, हर भारतीय के मन में, और भारतवर्ष के हर कण-कण में राम हैं। लेकिन गुलामी की मानसिकता इतनी हावी हो गई कि प्रभु राम को भी काल्पनिक घोषित किया जाने लगा।

दस साल में खत्म करें मैकाले वाली मानसिकता

उन्हाेंने कहा कि अपनी विरासत पर गर्व के साथ-साथ एक और बात भी महत्वपूर्ण है, और वो है- गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति। आज से 190 साल पहले, साल 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज़ ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोए थे। मैकाले ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। दस साल बाद, यानि 2035 में उस अपवित्र घटना को 200 वर्ष पूरे हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ही मैंने एक कार्यक्रम में आग्रह किया था कि हमें आने वाले दस वर्षों तक, उस दस वर्षों का लक्ष्य लेकर चलना है कि भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। ये गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने राम को नकारा । कुछ लोगों की इसी मानसिक गुलामी ने राम को भी काल्पनिक बता दिया।

सबसे पुराना लोकतंत्र भारत में लेकिन छुपाया गया

भारत देश की महान विरासत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रचारित किया गया कि हमारा संविधान भी विदेश से प्रेरित है, जबकि सच ये है कि भारत लोकतंत्र की जननी है । तमिलनाडु के एक गांव में शिलालेख में बताया है कि हजारों साल पहले कैसे सरकार चुनी जाती थी और कैसे शासन चलता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को ऐसी न जाने कितनी जानकारी से वंचित रखा गया।

अब नौसेना के ध्वज पर हमारी विरासत

उन्होंने कहा आप याद करिए, भारतीय नौसेना का ध्वज, सदियों तक उस ध्वज पर ऐसे प्रतीक बने रहे, जिनका हमारी सभ्यता, हमारी शक्ति, हमारी विरासत से कोई संबंध नहीं था। अब हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी के हर प्रतीक को हटाया है। हमने छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को स्थापित किया है। ये सिर्फ एक डिजाइन में बदलाव नहीं हुआ, ये मानसिकता बदलने का क्षण था। ये वो घोषणा थी कि भारत अब अपनी शक्ति, अपने प्रतीकों से परिभाषित करेगा, न कि किसी और की विरासत से।

अयोध्या की भूमि में आदर्श आचरण में बदलते हैं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, राम नगरी अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यह वही भूमि है, जहां राम ने जीवन शुरू किया। इसी धरती ने बताया कि एक व्यक्ति अपने समाज की शक्ति से कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है, जब भगवान यहां से गए तो युवराज राम थे, वह लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर । उनके मर्यादा पुरुषोत्तम बनने में महर्षि वशिष्ठ का ज्ञान, महर्षि विश्वामित्र की दीक्षा, महर्षि अगस्त्य का मार्गदर्शन, निषादराज की मित्रता, मां शबरी की ममता, भक्त हनुमान का समर्पण, इन सबकी, अनगिनत ऐसे लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

राम मंदिर भारत का चेतना स्थल

समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत के लक्ष्य को रेखांकित करते हुए कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए समाज की इसी सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि राम मंदिर भारत के चेतना स्थली बन रहा है। यहां माता शबरी का मंदिर है, जो जनजातीय समाज के प्रेम प्रेरणा की मूर्ति हैं। यहां एक ही स्थान पर माता अहिल्या हैं, महर्षि वाल्मीकी हैं, महर्षि वशिष्ठ हैं, महर्षि विश्वामित्र हैं, महर्षि अगस्त्य हैं, और संत तुलसीदास हैं। रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं। यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं, जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं। मैं आज हर देशवासी से कहूंगा कि वो जब भी राम मंदिर आएं, तो सप्त मंदिर के दर्शन भी अवश्य करें। ये मंदिर हमारी आस्था के साथ-साथ, मित्रता, कर्तव्य और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को भी शक्ति देते हैं।

जीत सत्य की होती है, असत्य की नहीं

पीएम मोदी ने कहा, मंदिर पर फहर रहा भगवा ध्वज सत्यमेव जयते का आह्वान करेगा। यानी जीत सत्य की होती है, असत्य की नहीं। सत्य में ही धर्म स्थापित है। यह ध्वज युगों युगों तक प्रेरणा देता रहेगा कि प्राण जाएं पर वचन नहीं जाए, जो कहा जाए वही किया भी जाए। जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आ पाते हैं, दूर से इस मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है। यह ध्वज भी मंदिर के ध्येय का प्रतीक है, यह दूर से ही रामलला की जन्मभूमि का दर्शन कराएगा।

यह अयोध्या का धर्म ध्वज है

पीएम मोदी ने कहा, जो सामने ध्वज दिख रहा है वह अयोध्या का धर्म ध्वज है, जिस पर कोविदार वृक्ष अंकित है। यह वृक्ष अपने याद दिलाता है कि जब हम इसे भूलते हैं, तब अपनी पहचान खो देते हैं। धर्मध्वज प्रेरणा बनेगा कि प्राण जाए, पर वचन न जाए अर्थात जो कहा जाए, वही किया जाए. ये धर्मध्वज संदेश देगा- कर्मप्रधान विश्व रचि राखा अर्थात विश्व में कर्म और कर्तव्य की प्रधानता हो. ये धर्मध्वज कामना करेगा- बैर न बिग्रह आस न त्रासा, सुखमय ताहि सदा सब आसा यानी भेदभाव, पीड़ा, परेशानी से मुक्ति और समाज में शांति एवं सुख हो।

माेदी ने 11 साल की उपलब्धियाँ भी गिनाई

प्रधानमंत्री नरेन््द्र मोदी ने अपने भाषण में पिछले 11 साल से किए जा रहे सर्वकल्याणकारी कार्यों की चर्चा की। पिछले 11 वर्षों में, महिला, दलित, पिछड़े, अति-पिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, श्रमिक, युवा, हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखा गया है। जब देश का हर व्यक्ति, हर वर्ग, हर क्षेत्र सशक्त होगा, तब संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगेगा। उन्होंने कहा कि पिछले 70 साल में भारत दुनिया की 11 वीं अर्थव्यवस्था था लेकिन 11 साल में 5वीं अर्थव्यवस्था बना और जल्दी तीसरी अर्थव्यवस्था बनकर भारत दुनिया का नेतत्व करेगा।

त्रेतायुग वाली बन रही राम नगरी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या त्रेतायुग वाली राम नगरी बन रही है। जब से प्राण प्रतिष्ठा हुई है, तब से लेकर आज तक करीब-करीब पैंतालीस करोड़ श्रद्धालु, यहां दर्शन के लिए आ चुके हैं। ये वो पवित्र भूमि है, जहां पैंतालीस करोड़ लोगों के चरण रज पड़े हैं। और इससे अयोध्या और आसपास के लोगों की आय में आर्थिक परिवर्तन आया है, वृद्धि हुई है। कभी अयोध्या विकास के पैमानों में बहुत पीछे थी, आज अयोध्या नगरी उत्तर प्रदेश के अग्रणी शहरों में से एक बन रही है।

समाराेह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके सरसंघचालकडॉक्टर मोहन भागवत ने कहा कि यह वही राम राज्य का ध्वज है, जो कभी अयोध्या में फहराता था, आज वह फहरा गया है। इस भगवा ध्वज पर रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष है। यह वृक्ष रघुकुल की सत्ता का प्रतीक है। यह वही वृक्ष है जिसके लिए कहा जाता है, कि वृक्ष सबके लिए छाया देते हैं, स्वंय धूप में खड़े रहकर और फल भी दूसरों के लिए देते हैं। राम राज्य का ध्वज यही संदेश देता है कि स्थितियां कितनी भी प्रतिकूल हों लेकिन उसे अपने धैर्य के साथ अनुकूलता में बदलना है। आज हिंदू समाज ने 500 साल तक संघर्ष करके दिखा दिया है। इसी सत्य पर आधारित धर्म दुनिया को देने वाला भारत आज खड़ा हो गया है। उन्हाेंने कहा कि मंदिर के लिए सब कुछ न्याेछावर करने वालाें काे आज पूर्ण संतुष्टि मिली हाेगी।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ध्वजारोहण यज्ञ की पूर्णाहूति नहीं, बल्कि नए युग का शुभारंभ है। प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर 140 करोड़ भारतीयों की आस्था, सम्मान व आत्मगौरव का प्रतीक है। सीएम योगी ने भव्य मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन उन पूज्य संतों,योद्धाओं,श्रीरामभक्तों की अखंड साधना-संघर्ष को समर्पित है, जिन्होंने आंदोलन व संघर्ष के लिए जीवन को समर्पित किया । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत को स्मृति चिह्न भी प्रदान किया।

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