
SIR के खिलाफ पश्चिम बंगाल कांग्रेस और तमिलनाडु सीपीएम पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली- 10 नवंबर। तमिलनाडु में शुरु किए जा रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ डीएमके के बाद अब सीपीएम ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। साेमवार काे सीपीएम की ओर से उनके वकील ने चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की।
पश्चिम बंगाल की कांग्रेस पार्टी ने भी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। पार्टी की ओर से पेश वकील ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मेंशन किया गया। तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पीठ केवल बिहार में एसआईआर के मामले पर सुनवाई कर रही है। आप अपनी याचिका के लिए चीफ जस्टिस के पास जाएं।
तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके ने निर्वाचन आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है। एआईएडीएमके ने याचिका में कहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण एक वैध और जरुरी प्रक्रिया है और इससे चुनावों की पवित्रता बची रहेगी। एआईएडीएम पहली ऐसी पार्टी है जिसने विशेष गहन पुनरीक्षण के पक्ष में याचिका दायर किया है।
सीपीएम की तमिलनाडु राज्य शाखा के सचिव पी. शणमुगम ने याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग की ओर से तमिलनाडु में शुरु किए जा रहे वोटर लिस्ट के एसआईआर के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। सीपीएम ने निर्वाचन आयोग के आदेश को मनमाना, गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया है।
उच्चतम न्यायालय डीएमके की याचिका पर 11 नवंबर को सुनवाई करेगा। डीएमके के संगठन सचिव और पूर्व राज्यसभा सदस्य आरएस भारती ने याचिका दायर कर राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग का आदेश असंवैधानिक है और ऐसा आदेश देना निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र के बाहर की बात है।
याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग का आदेश जनप्रतिनिधित्व कानून और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रुल्स का उल्लंघन करता है। डीएमके ने अपनी याचिका में कहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन है। निर्वाचन आयोग के इस आदेश से वास्तविक मतदाता बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।
याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु में स्पेशल समरी रिवीजन (एसएसआर) की प्रक्रिया अक्टूबर, 2024 से जनवरी, 2025 के बीच पूरी की जा चुकी है। इस दौरान नये मतदाताओं को जोड़ा गया और अयोग्य नामों को वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। वोटर लिस्ट लगातार अपडेट हो रहा है और इसके व्यापक वेरिफिकेशन की कोई जरुरत नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि बिहार में पहले निर्वाचन आयोग जून में विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश दिया था। उसके बाद कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गयी हैं जो अभी लंबित हैं। इन याचिकाओं के लंबित होने के बावजूद निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर को तमिलनाडु समेत दूसरे राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश दे दिया। विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिये निर्वाचन आयोग किसी व्यक्ति की नागरिकता का वेरिफिकेशन करना चाहता है। किसी व्यक्ति की नागरिकता का वेरिफिकेशन करना नागरिकता कानून के तहत केंद्र सरकार का काम है।



