भारत

शिक्षा का उपयोग वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र निर्माण में करें युवा: राष्ट्रपति

नैनीताल- 04 नवंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि शिक्षा का उपयोग वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र निर्माण में करें। शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव होती है। इसका उद्देश्य केवल विद्यार्थियों की बुद्धि और कौशल का विकास करना ही नहीं, बल्कि उनके नैतिक बल और चरित्र को भी सुदृढ़ करना है।

राष्ट्रपति मुर्मु मंगलवार को नैनीताल में स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में पहली बार राष्ट्रपति शामिल हुई। इस मौके पर उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को 89 स्वर्ण पदक व 16 हजार से अधिक उपाधियां प्रदान कीं। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को समाज से सीधा जुड़ाव बनाना चाहिए और गांवों में जाकर लोगों की समस्याओं को समझने व समाधान करने का प्रयास करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाती है, साथ ही विनम्रता सिखाती है और समाज व देश के विकास में योगदान देने की प्रेरणा देती है। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में करें। उन्होंने कहा कि यही सच्चा धर्म है, जो उन्हें वास्तविक सुख और संतोष प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से विकसित होती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और सरकार युवाओं के लिए अनेक अवसर सृजित करने के लिए नीतिगत पहल कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे युवाओं को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें तथा शोध, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करें। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में उत्कृष्टता के प्रति समर्पित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान के प्रभावी अनुप्रयोग के लिए बहुविषयक दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने हिमालय की जीवनदायिनी संपदाओं के संरक्षण और संवर्धन को सामूहिक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर संतोष हुआ कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सार्थक प्रयास कर रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्हें विश्वास है कि ये विद्यार्थी अपनी प्रतिभा और समर्पण से राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि आज का दिन कुमाऊँ विश्वविद्यालय के इतिहास में गौरवपूर्ण अध्याय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल बुद्धि का विकास नहीं, बल्कि चरित्र का निर्माण है। उन्होंने विद्यार्थियों से सेवा, सत्यनिष्ठा और संवेदना को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि वे नशे से दूर रहें, क्योंकि सच्चा आनंद नशे में नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति, सेवा और सृजन में है। उन्होंने कहा कि तकनीकी युग में सफलता के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में दक्षता आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को सीखना कभी न छोड़ने, माता-पिता व शिक्षकों का सम्मान करने, समय का सदुपयोग करने और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जो अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है, वही ऊँचाइयाँ प्राप्त करता है।

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