पटना- 18 नवंबर। बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सोमवार 25 नवम्बर से शुक्रवार 29 नवम्बर तक आयोजित होगा। पांच दिन के सत्र में सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण कार्य निपटाए जाएंगे। राज भवन की तरफ से शीतकालीन सत्र बुलाने की स्वीकृति दे दी गई है। उसके बाद संसदीय कार्य विभाग की ओर से अधिसूचना जारी हो गई है। सरकार की ओर से शीतकालीन सत्र में कई विधेयक लाए जाएंगे, साथ ही अनुपूरक बजट भी पेश होगा। नीतीश सरकार कई महत्वपूर्ण कार्य भी निपटाएगी।
बिहार विधानसभा के चार सीटों पर उपचुनाव 13 नवम्बर को संपन्न हुआ है जिसका परिनाम 23 नवम्बर को जारी किया जाएगा। ठीक इसके दो दिन बाद से विधानसभा और विधान परिषद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। ऐसे में सत्र के दौरान क्या कुछ होता है उसपर निगाह टिकी रहेगी।
पहले दिन सोमवार को शपथ ग्रहण होगा । इसके बाद राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश की प्रतियां सदन पटल पर रखी जाएंगी। साथ ही पहले ही दिन वित्तीय वर्ष 2024-25 का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। उसके अगले दिन 26 नवम्बर को गैर सरकारी संकल्प लिए जाएंगे। 27 और 28 नवम्बर को सदन में राजकीय विधेयक पेश किए जाएंगे। आखिरी दिन 29 नवम्बर को द्वितीय अनुपूरक बजट पर वाद-विवाद एवं विनियोग विधयेक पेश होगा। इसके बाद सदन की गतिविधियां अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित हो जाएंगी।
शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के आसार है। चार सीटों पर हुए उपचुनाव परिणाम का असर सदन में दिखेगा। इसके अलावा विपक्ष पूरी तरह से सरकार पर हमलावर नजर आएगा। कानून व्यवस्था, शराब से हुई मौत, स्मार्ट मीटर और जमीन सर्वे जैसे मसलों पर विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा।
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें—
बिहार विधानसभा द्विसदनीय विधायिका का निचला सदन है, जिसमें 243 सीटें हैं जो एकल-सीट निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे चुनी जाती हैं। विधानसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, जब तक कि पहले भंग नहीं किया जाता है ¹। बिहार विधानसभा में वर्तमान में 38 सीटें अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं और 2 सीटें अनुसूचित जनजातियों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। बिहार विधानसभा के वर्तमान नेताओं में विभिन्न दलों के विधायक शामिल हैं, जिनमें जदयू, भाजपा, राजद, कांग्रेस आदि शामिल हैं। बिहार विधानसभा के मुख्य कार्यों में राज्य के लिए नीतियों और कानूनों का निर्माण करना, राज्य सरकार को जवाबदेह बनाना, और राज्य के विकास के लिए योजनाएं बनाना शामिल है ।
बिहार विधानपरिषद में 75 सदस्य—
बिहार विधान परिषद में कुल 75 सदस्य होते हैं। इनमें से 63 सदस्य चुने जाते हैं। 12 सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करते हैं । पहले आम चुनाव के बाद सदस्यों की संख्या 72 हो गई थी। 1958 तक सदस्यों की संख्या बढ़कर 96 हो गई थी। झारखंड के निर्माण के बाद, बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहत सदस्यों की संख्या 96 से घटाकर 75 कर दी गई। विधान परिषद के तिहाई सदस्यों का चुनाव स्थानीय निकायों, जैसे- नगरपालिका, जिला बोर्ड आदि से होता है। 1/12 सदस्यों का चुनाव राज्य में 3 वर्ष से रह रहे स्नातक करते हैं। 1/12 सदस्यों का चुनाव 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे लोग करते हैं।