
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित नेमनाथ जैन पाकिस्तान से 16 वर्ष की आयु में आये थे मध्य प्रदेश
भोपाल- 10 नवंबर। सोया मैन ऑफ इंडिया के नाम से फेमस हो चुके 90 वर्षीय उद्योगपति डॉ. नेमनाथ जैन को ट्रेड, इंडस्ट्री और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । वे ट्रेड एवं इंडस्ट्री के क्षेत्र में मध्यप्रदेश से यह सम्मान पाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। उन्होंने यह सम्मान कर्मभूमि इंदौर, सोयाबीन किसानों और सोया उद्योग को समर्पित किया है। वे प्रेस्टीज समूह के पितामह के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा – ‘ग्राउंड टू ग्लोरी’ अमेजन पर वर्ष 2016 में बेस्ट सेलर किताब की श्रेणी में शामिल है।
इंजीनियरिंग बन शुरू किया था अपना सफर—
दरअसल, अविभाजित भारत और वर्तमान में पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी में 17 सितंबर 1931 को जन्मे नेमीनाथ विभाजन के बाद 16 साल की उम्र में इंदौर में आकर बस गए थे । उन्होंने साधारण नौकरी करते हुए एसजीएसआइटीएस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वे पहली बैच के टॉपर रहे। जिस कंपनी में नौकरी कर रहे थे, उसने ट्रेनिंग के लिए लंदन भेजा। वहां से लौटकर उन्होंने कंपनी को आगे बढ़ाया और बाद में कंपनी में चीफ एक्जीक्यूटिव बने। इसके बाद प्रेस्टीज समूह बनाकर सोया उद्योग में शिखर को उन्होंने छुआ। फिर शिक्षा समूह के तौर पर भी प्रेस्टीज की ख्याति देश भर में फैलाई।
प्रेस्टीज समूह की स्थापना से शिखर पर पहुंचा नाम—
वे कहते हैं कि मेरे इस सफर में जाने कितने लोगों का साथ मिला है। उन्हें नौकरी करते समय यह आभास हुआ कि अलग से किसानों के हित में कुछ करना चाहिए, इसलिए प्रेस्टीज संस्थान आरंभ करने का मन में विचार आया और वह देखते ही देखते अपने मूर्त रूप में आ गया। समय के साथ आवश्यक इस ऑयल मिल में सोयाबीन प्रोसेसिंग की मशीनें लगाई जाती रहीं । उनका कहना है कि यह मेरे लिए बहुत ही आनन्द की बात है कि मैंने ऑयल मिल की हर यूनिट अपने हाथ से लगाई है । मेरे दोनों बेटे भी इसमें शामिल हो गए और सभी की संयुक्त मेहनत से ”प्रेस्टीज समूह” आज देश का ख्याती प्राप्त व्यवसायिक प्रतिष्ठान बन गया है।



