बिहार

BIHAR:- बेगूसराय के पूर्व सांसद डॉ मोनाजिर हसन ने JDU से दिया इस्तीफा, कहा- महागठबंधन में बड़े-बड़े मुस्लिम नेता हाशिये पर डाल दिए गए हैं


बेगूसराय- 28 मई। बेगूसराय के पूर्व सांसद व बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रहे कद्दावर नेता डॉ मोनाजिर हसन ने जदयू के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसका ऐलान उन्होंने प्रेसवार्ता आयोजित कर दी।डा हसन ने कहा कि सूचना मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जदयू को अपना त्याग पत्र के माध्यम से भेज चूका हूं।

मेरे इस्तीफा देने के पीछे मुख्य कारण है कि पार्टी अपने मूल सिद्धान्तों से भटक गयी है और ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी को हमारे जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जरुरत ही नहीं है, चंद स्वार्थी लोगों ने पार्टी को अपने वश में कर लिया है जो पार्टी को दीमक की तरह चाट रहे हैं।हजारों कार्यकर्ताओं के बलिदान से जिस पार्टी का निर्माण किया गया था उसी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को अपमानित और पार्टी विरोधी ताकतों को सम्मानित किया जा रहा है। पार्टी के 90 प्रतिशत कार्यकर्ता आज घुटन महसूस कर रहे हैं, इधर राष्ट्रीय जनता दल में भी मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बच गयी है। उसे न तो मंच पे जगह दी जा रही है और न ही सरकार, संगठन में हिस्सेदारी दी जा रही है। अगर कोई हिस्सेदारी दी भी गई है तो वो भी खरीद-फरोत के माध्यम से ही, जैसा कि आम चर्चा में भी है कि राज्यसभा की कुछ सीटें पैसों के लेन-देन से ही संभव हो पाया है। जैसा कि बीते दिनों बिहार शरीफ में दंगाइयों के द्वारा ऐतिहासिक मदरसा अजीजिया को जला दिया गया और मुसलमानों के मसीहा होने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आज की तारीख तक जायजा लेने वहां नहीं पहुंच पाए। प्रभावित लोगों को मुआवजा तो दूर की बात है, जिनकी दुकाने जली,रोजी रोजगार छीने गये उन्हें सरकार ने अभी तक एक धेला तक नहीं दिया। माय समीकरण सिर्फ कहने भर ही है सच तो ये है कि मुसलमानों को महागठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा है। जैसे इफ्तार पार्टी में मुस्लिम नेताओं को फ्रंट में जगह तक नहीं दी गयी। लगभग 18 प्रतिशत आबादी का सिर्फ इन्हें वोट चाहिए मुस्लिम नेता नहीं। राजद का अपने पूर्व सासद स्व मोहम्मद शहाबुद्दीन के साथ कैसा व्यवहार रहा ये जग जाहिर है, उनका जनाजा तक पार्टी ने बिहार लाने का प्रयास नहीं किया। दो दिनों तक उनका पार्थिव शारीर दिल्ली के अस्पताल में पड़ा रहा और इस बिच उनके परिवार वालो ने काफी मुस्सकत की लेकिन तथाकथित सेक्युरिजम का ढोंग करने वाले झांकने तक नहीं गये आखिरकार उन्हें दिल्ली की ही मिट्टी में सुपुर्दे-ए-खाक कर दिया गया। यहां तक कि उनकी पुण्यतिथि में राजद ने उन्हें याद तक नहीं किया। खिराज-ए-अकीदत के बतौर राजद ने उनकी तस्वीर पर एक फूल भी चढ़ाना गवारा नहीं समझा। मुसलमानों को आज सबसे अधिक नुकसान धर्मनिरपेक्ष दलों से ही पंहुचा है। इनका काम सिर्फ भाजपा से डराना रह गया है डर की राजनीती से मुस्लमान को बाहर निकलना होगा। आज महागठबंधन में बड़े-बड़े मुस्लिम नेता हाशिये पर डाल दिए गए हैं। लोकसभा,विधानसभा चुनाव में समुचित हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है। मुस्लिम संगठन ठप पड़े हैं,अल्पशंख्यक आयोग बिहार,उर्दू अकादमी,उर्दू परामर्शदात्री समिति,मदरसा एजुकेशन बोर्ड में वर्षो से रिक्त है। उर्दू और मुस्लिम समाज के विकास से जुड़े संस्थानों में चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो रही है।यही मुसलमानों की हमदर्द सरकार है? मुस्लिम मंत्रियों का कोई वजूद नहीं है। जिन मुस्लमान को बिहार सरकार में मंत्री बनाया गया उस विभाग का कोई अस्तित्व ही नहीं है। केवल नाम का मंत्री बना कर मुसलमानों को बेवकूफ़ बनाने का काम किया गया है।वहीं पार्टी की अनदेखी और पार्टी के द्वारा अपमानित करना मेरी तीन दशक की राजनीती और प्रतिष्ठा के खिलाफ है। ऐसे पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं जहां आपकी राजनीती शख्सियत की कोई कद्र न हो,जबकि मुझे अपने राजनीती सफर में एक बार बेगुसराय लोकसभा से सांसद एवं चार बार मुंगेर विधानसभा से विधायक निर्वाचित होने के साथ दो-दो बार मंत्री बिहार सरकार बनने का मौका भी मिला। उन्होंने कहा कि बिहार एवं देशहित में बहुत जल्द ही मैं अपने समर्थको के साथ विचार-विमर्श कर कोई ठोस निर्णय लूंगा और समर्थकों की जो राय होगी वही मुझे स्वीकार होगा।

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