बच्चे राष्ट्र के असली दीपक, उसे बुझने न दें: आचार्यश्री सुदर्शन

पटना-02 नवम्बर। दीपावली दीपों का त्योहार है। यह अंधकार के ऊपर प्रकाश का विजय का पर्व है। बच्चे राष्ट्र के असली दीपक हैं। उन्हें तूफानों में बुझने न दें। यह हमारे शिक्षकों और अभिभावकों का दायित्व है। हमारे बच्चे मुस्कुराएँ, गीत गाएँ और व्यवहार कुशल बनें। यह विद्यालय की जिम्मेदारी है। हमने अपने विद्यालय परिसर को बच्चों के मनोनुकूल बनाने के लिए फ्रेंडली और टेंशन-फ्री वातावरण का सपना देखा है। डर और तनाव में विद्या नहीं दी जा सकती है और बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। बच्चों की खुशहाली ही असली दीवाली है।”

“ये प्रेरक संदेश राजऋषि आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज ने दीपावली कारनिवल के पावन अवसर पर बच्चों को संबोधित करते हुए दिये। इस पर स्कूल के शिक्षक, शिक्षिकाएं, बच्चे एवं उनके अभिभावक मौजूद थे। “बच्चों ने पूरे स्कूल परिवार को रंगोली, रंग-विरंगे चित्रों एवं दीपों से जगमगा दिया। बच्चों की इन सुनहली सजावटों को अभिभावकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञान के प्रतीक दीप प्रज्वलित कर एवं आचार्यश्री द्वारा रचित गणेश वंदना की धमाकेदार नृत्य प्रस्तुति से किया गया। गीत के बोल थे- जय-जय गणपति जी की जय हो, तदुपरांत बच्चियों की दूसरी प्रस्तुति थी- आज पी.सी.एस. में बाजे बधाई दीवाली आइल वा”। आचार्यश्री द्वारा रचित इस भोजपुरी लोकगीत पर बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी खूब झूमें इसके बाद नृत्य और संगीत का जो “सिलसिला चला वह काबिले तारीफ था।

इस अवसर पर संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ० बी.के सुदर्शन जी ने जीवन में त्योहारों के औचित्य पर प्रकाश डाला और बताया है कि लक्ष्मीपूजा केवल दौलत की पूजा नहीं, अपितु विवेक की पूजा है। लक्ष्मी अगर दौलत की देवी है, तो उनके साथ गणेश विवेक के देवता भी है। प्राचार्य श्री ओ.पी. सिंह ने बच्चों को दीपावली की बधाई दी और बच्चों को सेफ दीवाली और सुरक्षित दीवाली मनाने की प्रेरणा दी। पटाखों और आतिशबाजी से बचना चाहिए ताकि हमारा वातावरण प्रदूषण मुक्त बन सके। उप-प्राचार्या श्रीमती निशा वर्मा ने समस्त कार्यक्रम का समन्वय किया और इस कार्यक्रम में शरीक होने वाले शिक्षकों अभिभावकों एवं बच्चों को तहे दिल से धन्यवाद ज्ञापित किया।

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Author: lakshyatak

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