नई दिल्ली- 16 दिसंबर। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो गरीब तबके के छात्रों का दाखिला निजी स्कूलों में कराना सुनिश्चित करें। जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने ये आदेश जारी किया।
कोर्ट ने कहा कि ये सही समय है कि न्यायपालिका बिना इंतजार किए उन लोगों के पास पहुंचे जो न्याय चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि गरीबों के बच्चे अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हैं। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कोई भी निजी स्कूल किसी भी गरीब तबके के छात्र को दाखिला देने से इनकार नहीं करेगा जिसकी अनुशंसा शिक्षा निदेशालय ने की हो।
याचिका उन छात्रों की ओर से दाखिल की गई है जिन्हें ईडब्ल्यूएस के तहत स्कूलों ने दाखिला देने से इनकार कर दिया था। बच्चों की ओर से पेश वकील ने कहा कि इन बच्चों को दाखिला नहीं देना समाज में उनकी प्रतिष्ठा गिराने के समान है। कोर्ट संविधान का रक्षक है और ऐसे में वो मूकदर्शक नहीं बन सकती है। कोर्ट ने कहा कि इन बच्चों की एक ही गलती है कि उनका जन्म गरीब परिवार में हुआ है। ऐसा करना न्याय का उल्लंघन है।