मधुबनी- 16 नवंबर। जिले के अपग्रेड हुए हाईस्कूलों में बिना शिक्षक ही बच्चे पास हो रहे हैं। पंचायत स्तर पर मध्य विद्यालय को हाईस्कूल में अपग्रेड करने के चले अभियान के तहत इन विद्यालयों को उत्क्रमित कर नवमीं व दसवीं कक्षा में नामांकन कर परीक्षा का संचालन शुरू किया गया। इसके लगभग पांच बीत चुके हैं। इसतरह लगभग सभी इस उत्क्रमित विद्यालयों से पांच बैच बच्चे मैट्रिक उत्तीर्ण भी हो चुके हैं। लेकिन इन स्कूलों में विषयवार शिक्षक की कौन कहे सामान्य शिक्षकों की भी पदस्थापना नहीं की गयी है। इस वजह से जिले के इन 169 स्कूलों के 10 हजार छात्रों का भविष्य हर साल दांव पर लग रहा है। यहां के बच्चे निजी ट्यूशन पर रहने को विवश हैं। अभी दसवीं के सेंटअप की परीक्षा हो रही है और बच्चे बिना स्कूल की पढ़ाई की परीक्षा दे रहे हैं। ऐसे ही परीक्षा देने वाली रजनी कुमारी,अफसाना खातुन,नेहा राय,हीरा यादव,महेश पासवान,संतोष पासवान व अन्य ने बताय कि स्कूल में तो शिक्षक है ही नहीं। मिडिल स्कूल वाले एक दो शिक्षक आकर पढ़ाते रहे हैं। विज्ञान,गणित,संस्कृत,अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान के शिक्षक नहीं रहने के कारण इन विषयों की तैयारी जैसे तैसे की है। जो सक्षम परिवार के हैं, उनके बच्चे दो तीन निजी ट्यूशन व कोचिंग के सहारे पढ़ाई की है। कमजोर तबके और निर्धन परिवार के बच्चे इन स्कूली शिक्षा के भरोसे ही रह गये हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना के लिए रिक्ति मांगी गयी थी, जो तैयार भी कर लिया गया। इसके बाद भी यहां के लिए शिक्षक नहीं दिये गये।
सुविधाअेां की भी भारी कमी—
इन स्कूलों में सामान्य सुविधाएं भी नदारद है। ब्लिडिंग केवल बना है। बाकि सुविधा नदारद है। औसतन डेढ़ करोड़ के बजट वाले इन भवनों की हालत भी खस्ताहाल हो चुकी है। जो इसके निर्माण में राशि के हुए बंदरबांट की पोल खोल रहा है। 70 फीसदी स्कूल भवन के फर्श डैमेज हो चुका है। खिड़की व गेट क्षतिग्रस्त हो चुका है। खिड़की में लगाये गये शीशे खत्म हो चुके हैं। कई स्कूलों के भवन के पास झाड झंखाड उग आया है। भूतबंगला की शक्ल ये भवन ले चुके हैं। क्योंकि सुविधा नहीं रहने व शिक्षक नहीं होने के कारण इन भवनों में प्रतिदिन क्लास भी नहीं संचालित हो पाता है।
दशकों पहले की व्यवस्था की याद दिला रहा यह स्कूल—
दशकों पहले जैसे बच्चे अपने बोरा लेकर स्कूल पहंुचकर फर्श पर पढ़ाई करते थे। इन अपग्रेड हुए स्कूलों की व्यवस्था उसी दिन की याद दिला रहा है। मध्य स्कूल के बच्चों के बेंच है। पर नवमीं और दसवीं के छात्र व छात्राएं नीचे फर्श पर बैठकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। इन विद्यालयों में पुस्तकालय व विज्ञान प्रयोगशाला की बात करना बेमानी ही है। इन स्कूलों के एचएम ने नाम नहीं देने की शर्त्त पर बताया कि स्कूलों में नामांकन, रजिस्ट्रेशन व फॉर्म भरने का काम केवल हो रहा है। उसमें भी मध्य विद्यालय के ही दो तीन शिक्षकों को इन कार्यो की कागजी खानापूरी व आंकड़ा अपडेट करने में लगे रहते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी—
डीपीओ माध्यमिक शिक्षा व एसएसए राजेश मिश्रा ने बताया कि विभाग को जानकारी दी गयी है। शिक्षकों के नये नियोजन के बाद उनकी पदस्थापना हो जायेगी। वहीं सुविधाओं के संबंध में भी विभाग के स्तर पर काम किये जा रहे हैं। शीघ्र इन विद्यालयों में सभी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जायेगी।