5 अगस्त : आज 5 अगस्त गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले में सुनवाई हुई ये अर्जियां पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से दायर की गई हैं। कोर्ट ने पिटीशनर्स से कहा- सभी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को भेजें; मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो ये गंभीर मामला है पिटीशनर्स की मांग है कि पेगासस मामले की SIT जांच करवाई जाए।
इस केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सहीं हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। साथ ही पिटीशनर्स से कहा कि वे अपनी-अपनी अर्जियों की कॉपी केंद्र सरकार को भेजें। इस केस की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
पेगासस क्या है
खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप के अनुसार इजरायल कंपनी एनएसए के जासूसी सॉफ्टवेयरपेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। भारत में भी अब तक 300 नाम सामने आए हैं, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि जासूसी की रिपोर्ट्स 2019 में सामने आई थीं, लेकिन यह नहीं पता कि इसके बारे में किसी ने ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश की या नहीं। साथ ही एक पिटीशनर से कहा कि मैं हर केस के तथ्यों को नहीं देख रहा, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि उनके फोन इंटरसेप्ट किए गए। तो ऐसी शिकायतों के लिए टेलीग्राफ एक्ट है।
कपिल सिब्बल जोकि पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से पैरवी कर रहे ने कोर्ट में कहा कि पेगासस एक खराब तकनीक है जो हमारी जानकारी के बिना हमारी जिंदगी में दाखिल हो जाती है। यह हमारी निजता, गरिमा और हमारे गणतंत्र के मूल्यों पर हमला है। सिब्बल ने कहा है कि स्पाइवेयर सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता ।
एक शिक्षाविद की तरफ से पेश वकील श्याम दीवान का कहना था कि इस मामले की अहमियत बहुत ज्यादा है, इसलिए स्वतंत्र जांच करवाई जाए। इस केस में सबसे उच्च स्तर के ब्यूरोक्रेट के जरिए जवाब दिया जाना चाहिए। इसके लिए कैबिनेट सेक्रेटरी को नियुक्त करने पर प्राथमिकता से विचार होना चाहिए। वहीं कुछ पत्रकारों की तरफ से पेश वकील अरविंद दत्तर ने कहा कि लोगों की निजता सबसे बड़ी होती है और प्राइवेसी का ख्याल रखा जाना चाहिए।
कोर्ट ने दी पेगासस जासूसी पर 3 अहम टिप्पणियां
1 पता नहीं ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश हुई या नहीं 2 फोन इंटरसेप्ट जैसे शिकायतों के लिए टेलीग्राफ एक्ट है 3 जासूसी की रिपोर्ट 2019 में आई थी