5 अगस्त : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और ऑटोमोबाइल कंपनियों के CEO को फ्लेक्सी-फ्यूल इंजन मैन्युफैक्चर करने को कहा है। इसी साल मार्च में सरकार ने एथेनॉल को स्टैंडअलोन फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल करने की इजाजत दी है।
इसके साथ ही गडकरी ने सभी कार निर्माता कंपनियों से कार में 6 एयरबैग देने का भी आग्रह किया है। फिलहाल कारों में केवल 2 एयरबैग ही आते हैं। उन्होंने कहा है कि किसी भी कीमत या क्लास के सभी कार मॉडल्स में 6 एयरबैग होने चाहिए। सड़क हादसों में बढ़ती हुई मौतों को देखते हुए यात्रियों की सुरक्षा के लिए ये जरूरी है।
इस इंजन में एक तरह के ईंधन मिश्रण सेंसर यानि फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का इस्तेमाल होता है. यह मिश्रण में ईंधन की मात्रा के अनुसार खुद को एड्जेस्ट कर लेता है. जब आप गाड़ी चलाना शुरू करते हैं, तो ये सेंसर एथेनॉल / मेथनॉल/ गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को रीड कर लेता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को एक संकेत भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है.
इस इंजन में एक तरह के ईंधन मिश्रण सेंसर यानि फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का इस्तेमाल होता है. यह मिश्रण में ईंधन की मात्रा के अनुसार खुद को एड्जेस्ट कर लेता है. जब आप गाड़ी चलाना शुरू करते हैं, तो ये सेंसर एथेनॉल / मेथनॉल/ गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को रीड कर लेता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को एक संकेत भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है.
फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां बाय-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों से काफी अलग होती हैं. बाय-फ्यूल इंजन में अलग-अलग टैंक होते हैं, जबकि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में आप एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल डाल सकते हैं. यह इंजन खास तरीके से डिजाइन किए जाते हैं.
फिलहाल गाड़ियों में हम जो पेट्रोल इस्तेमाल करते हैं, उसमें अधिकतम 8.5% तक एथेनॉल मिला होता है। एथेनॉल यानी बायो फ्यूल। पर फ्लेक्सी-फ्यूल इंजन में आपके पास ये विकल्प होगा कि आप पेट्रोल और एथेनॉल दोनों को अलग-अलग अनुपात में इस्तेमाल कर सकें। उदाहरण के लिए 50% पेट्रोल और 50% एथेनॉल।
गाड़ी का इंजन खुद-ब-खुद फ्यूल में मौजूद अलग-अलग ईंधन का कंसंट्रेशन पता कर इग्निशन को एडजस्ट कर लेगा।
आसान भाषा में समझें तो इन वाहनों में आप दो या दो से ज्यादा अलग-अलग तरह के फ्यूल का मिश्रण ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2030 तक पेट्रोल में एथेनॉल कंसंट्रेशन को बढ़ाकर 20% और डीजल में बायोडीजल के कंसंट्रेशन को बढ़ाकर 5% तक करना है। इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भी ये बड़ा कदम है।