
करोड़ों का इंजेक्शन लाखों की दुआएं , फिर भी वेदिका को बचा नहीं पाए
लंबे समय से स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक बीमारी से जूझ रही वेदिका का रविवार को देहांत हो गया. वेदिका शिंदे की उम्र सिर्फ 13 महीने की थी. डेढ़ महीने पहले ही वेदिका को 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया था जिसके बाद उसकी हालत में सुधार हो रहा था लेकिन 16 करोड का इंजेक्शन भी वेदिका की जान नहीं बचा पाया
इंजेक्शन देने के बाद वेदिका की हालत में सुधार हो रहा था यह बात वेदिका के पिता खुद सौरभ शिंदे ने बताई लेकिन 1 अगस्त की रात को अचानक वेदिका की हालत खराब होने लगी उसे सांस लेने में दिक्कत आने लगी उसका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा वेदिका के पिता ने तुरंत ही नजदीकी हॉस्पिटल में उसे भर्ती कराया लेकिन इस दौरान उसकी मौत हो चुकी थी
मासूम वेदिका के इलाज के लिए पूरा देश सामने आया और 16 करोड़ की आर्थिक मदद की वेदिका की जान बचाने के लिए 16 करोड का इंजेक्शन अमेरिका से मंगाया गया था सरकार ने भी उस पर आयात कर माफ किया था लेकिन फिर भी वेदिका को नहीं बचाया जा सका
वेदिका के माता पिता और उसके परिवार को फरवरी के अंत में वेदिका की बीमारी के बारे में पता चला जिसके बाद उन्होंने पुणे में स्थित हॉस्पिटल दीनानाथ मंगेशकर में वेदिका का इलाज शुरू करवाया. 15 जून को पूरे देश से वेदिका के इलाज के लिए ₹16 करोड़ रुपए की व्यवस्था हुई और 16 जून को वेदिका को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई
इंजेक्शन लगने के बाद वेदिका की हालत में सुधार आने लगा . लेकिन स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी की बीमारी के कारण उसके मसल्स बहुत कमजोर हो गए थे जिसकी वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और बदकिस्मती से उसका देहांत हो गया
वेदिका के इस तरह से मौत से उसका परिवार, माता पिता और पूरा देश सदमे में है भगवान वेदिका की आत्मा को शांति दे.



