बिहार

BIHAR:- गन्ने के अभाव में बंद होने की कगार पर पहुंची विष्णु शुगर मिल

गोपालगंज- 04 फ़रवरी। कभी नगदी फसल के रूप में गन्ना,इलाके के किसानों की जिंदगी में मिठास भरती थी लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बेपरवाही के चलते इस बार शहर के विष्णु शुगर मिल के बंदी के कागार पर आ गया है। जिससे किसानों और मजदूरों की जिंदगी में गन्ने ने खटास भर दी है। हालत यह हैं कि जिले के किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा कर ली है। इलाके में 15 फरवरी से बसंतकालीन गन्ने की खेती शुरू होती है लेकिन इस बार किसानों के खेतों में आज भी बाढ़ के पानी के जमाव होने के कारण गन्ने की फसल के लिए खेत तैयार नहीं हो रहे है। किसानों का कहना हैं कि इस बार गन्ने की फसल बर्बाद हो गई। लिहाजा अगली बार इलाके के किसान गन्ना की खेती कैसे करेंगे। आज तक इस क्षेत्र में पानी खेतों में लगा हुआ है। वहीं मिल प्रबंधन के सामने चीनी मिल को गन्ने के अभाव में बंद करने की नौबत आ गई है।

जीएम पीआरएस पाणिकर ने बताया कि अतिवृष्टि व बाढ़ के कारण क्षेत्र में गन्ना फसल की काफी क्षति हुई है। जलभराव की स्थिति से निदान पाने के लिए धनखर नाला की सफाई बहुत ही आवश्यक है। विगत कई साल से सफाई नहीं हुई है। सफाई होने से कई गांवों में 40 प्रतिशत जलभराव की समस्या समाप्त हो जाएगी। इस बार गन्ने के अभाव में 60 दिन भी प्रतिदिन गन्ने की पेराई नहीं हुई। गन्ने के अभाव में कई कई घंटे तक मिल काे बंद रखना पड़ रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष आधे भी गन्ने की पेराई नहीं किए जाने से मिल के अस्तिव पर खतरा बना हुआ है। पिछले वर्ष गंडक नदी में बाढ़ आ जाने से गन्ना किसानों की भारी क्षति हुई। बाढ़ प्रभावित अंचलों के दियारे व निचले इलाके के करीब 22 हजार हेक्टेयर में लगी गन्ना की फसल कई दिनों तक डूबी रही। आज भी खेतों में भारी जलजमाव बना हुआ है। बाढ़ से पचास फीसदी से अधिक फसल के पूरी तरह नष्ट हो गए थे।

जानकारों की माने तो करीब तीस करोड़ रुपए क्षति का हुई है। बाढ़ से गन्ना की फसल बर्बाद हो जाने से चीनी मिलों के समक्ष भी संकट गहराने लगा है। पिछले एक दशक से प्राय: अगस्त-सितम्बर के महीने में नदी में बाढ़ आती थी। तब तक पौधे बड़े हो जाते थे। बाढ़ आने पर भी पौधे पूरी तरह नहीं डूबते थेलेकिन इस वर्ष गन्ने के पौधे अब तीन फुट के ही हुए थे कि बाढ़ आ गई थी।

किसानों ने बताया कि गन्ना के गाभा में बाढ़ का पानी घुस जाने के बाद फसल बर्बाद हो जाती है। मिल के गन्ना प्रबंधक वीएस द्विवेदी कहते हैं कि गन्ना की फसल को औसतन 900 से 1000 एमएम पानी की आवश्कता होती है लेकिन इस वर्ष में 1600 से 1800 एमएम बारिश हुई। विष्णु शुगर मिल के जीएम पीआरएस पाणिकर ने बताया कि विष्णु चीनी मिल ने पेराई सत्र 2020-21 के तहत किसानों से खरीदे गए गन्ने के बदले उसके मूल्य भुगतान में सौ प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर ली है। गन्ना मूल्य भुगतान से संबंधित कोई बकाया शेष नहीं है।

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