
सहरसा:- सजायाफ्ता कैदी की इलाज के दौरान मौत
सहरसा- 13 जनवरी। वर्ष 1985 में जमीनी विवाद में हुए गोलीबारी की घटना में हत्या के आरोप में न्यायालय की ओर से दिये गये आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी की इलाज के दौरान गुरुवार को सदर अस्पताल में मौत हो गई। जिले के सौर बाजार थाना क्षेत्र के फोरसाहा गांव निवासी विष्णु देव रजक उर्फ विशन धोबी को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। वही उनकी मौत पर मृतक के पुत्र ने आरोप लगाया है कि उनके इलाज में लापरवाही बरती गई थी। जेल प्रशासन की संवेदनहीनता की वजह से उनकी मौत हुई है। मृतक के उपर अपने ही ग्रामीण जलधर यादव की हत्या का आरोप लगा था। उनके पुत्र ने बताया कि गांव के जलधर यादव और विलास यादव के बीच जमीन का विवाद था। जिसमें जून 1985 को उक्त जमीन पर गोलीबारी की घटना घटी थी। जिसमें जलधर यादव की मौत हो गई थी। उक्त मामले में विलास की ओर से उनके पिता के भी होने की शिकायत दी गई थी। घटना के 8 दिन बाद उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद वे 7 वर्ष 1992 तक जेल में रहे। फिर उन्हें जमानत मिली थी लेकिन दो साल बाद फिर उन्हें जेल हो गई। चूंकि उन्हें न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा दे दी थी। मृतक के एकलौते पुत्र संजय रजक के अनुसार फिर से वो जेल चले गए। उनके हिसाब से कुल मिलाकर 33 वर्ष से अधिक की सजा उनके पिता काट चुके थे।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 2021 के 1 अक्टूबर में जेल में ही फिसल कर गिर जाने से उसके पिता की कमर की हड्डी टूट गई थी। उन्हें इलाज के लिए 7 अक्टूबर को सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में भेजा गया। जहां 64 दिनों तक बेड पर रहे। फिर 10 दिसंबर को उन्हें दरभंगा स्थित डीएमसीएच रेफर कर दिया गया। जहां से कुछ दिन बाद उन्हें पीएमसीएच पटना भेज दिया गया। पांच-छह दिन पटना में इलाज के बाद उन्हें फिर से सहरसा सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में लाया गया। उनका समुचित इलाज नहीं हुआ।उन्होंने बताया कि जेल में ही बीते 30 दिसंबर को उनके पिता की तबीयत फिर से बिगड़ी। जिसके बाद उन्हें जेल से सदर अस्पताल स्थित कैदी वार्ड लाया गया। जहां उनका इलाज चल रहा था। अब उनकी मौत हो गई है।जेल सुपरिटेंडेंट सुरेश चौधरी ने बताया कि इलाज के दौरान विशन धोबी की मौत हुई है।जिनका कई महीने से उनका इलाज चल रहा था।



