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160 से अधिक देशों में चलाया जा रहा है मधुमेह जागरुकता अभियान, 2030 तक 98 मिलियन हो जाएंगे मधुमेह के रोगी,इंडिया में सात प्रतिशत रोगी

कानपुर- 14 नवम्बर। मधुमेह के रोगियों में लगातार बढ़ रही स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानियों के लिये जनजागरूकता एवं नियंत्रण के लिए विश्व मधुमेह दिवस आयोजित किया जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा मधुमेह जागरूकता अभियान है जो कि 160 से भी अधिक देशों मे चलाया जाता है। इस अभियान में मधुमेह से सम्बन्धित महत्वपूर्ण समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मधुमेह बीमारियों से उत्पन्न विभिन्न समस्याओं में जागरूकता बढ़ाना है। यह बातें शनिवार को विश्व मधुदेह दिवस की पूर्व संध्या पर आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डा. बृजेन्द्र शुक्ला ने कही।

डा. बृजेंद्र शुक्ला ने बताया कि सम्पूर्ण विश्व में 14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन की शुरूआत आईडीएफ तथा डब्ल्यूएचओ द्वारा वर्ष 1991 में की गयी थी। वरिष्ठ फिजिशियन एवं मधुमेह रोग विशेषज्ञ डा. ए.सी. अग्रवाल ने बताया कि मधुमेह रोगियों की बढ़ती हुई संख्या से विश्व की आबादी को सुरक्षित रखने के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। या यूं कहें कि यह जागरूकता का अभियान चलाया जाता है। इस साल की जो थीम है वह यह है कि एक्सेस टू द डायबिटीज केयर मतलब कि हर व्यक्ति को जो डायबिटीज के रोगी है उसको अच्छी से अच्छी देखभाल मिल सके। अच्छा से अच्छा इलाज मिल सके ताकि जटिलताओं से बचा जा सके। पिछले साल का स्लोगन नर्सेज मेक डिफरेंस अर्थात जो हम लोगों ने देखा कि कोविड-19 एपिडेमिक के दौरान हमारे चिकित्सा वर्कर्स ने अपनी जान लगाकर इतने लोगों की जान बचाई। कोविड-19 में यह भी देखा गया कि बहुत सारे नए डायबिटीज के रोगी बढ़ रहे हैं। वह कोविड-19 इलाज की वजह से था, पर जिसकी वजह से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रहे है। इंसुलिन इंजेक्शन जो डायबिटीज का मुख्य इलाज है उसको डिस्कवर हुए पूरे 100 साल हो गए हैं। 1921 में बेटिंग एंड बेस्ट द्वारा इसुलिन का आविष्कार किया गया था और निरंतर नए-नए आयाम इसमें जुड़ते जा रहे हैं। डायबिटीज किसी परिवार में होने पर पूरा परिवार उससे अफेक्टेड होता है और जो रोगी होता है उसको लाइफ लोग ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।

आगे कहा कि हाईली प्रोसैस्ड फूड शुगर सैचुरेटेड फैट और ट्रांसपेक्ट और रेड मीट फास्ट फूड आदि का उपयोग कम कर के हम मधुमेह होने से बचे रह सकते हैं। अतः हमारा कर्तव्य कि जो अपने अपने आप को मधुमेह रोगी होने से बचाएं और जो इससे पीड़ित है। डॉ अर्चना भदौरिया चेयरपर्सन वैज्ञानिक सब कमेटी ने बताया कि नीले रंग का गोलाकार निशान विश्व मधुमेह दिवस को दर्शाता है। नीले रंग आकाश का रंग है जो विश्व के सभी रास्तों को जोड़ता है। गोले का निशान विश्व मुधमेह समुदाय एकता की प्रतीक है। 14 नवम्बर का दिन इन्सुलिन के अविष्कारक फेडरिक बेंटिंगस का जन्मदिन है। उन्होंने 1922 में इन्सुलिन की खोज की थी।.इस वर्ष के विश्व मुधमेह दिवस की थीम है “एक्सेस टू द डायबिटीज केयर ” विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2016 के डाटा के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 422 मिलियन व्यक्ति डायबिटीज मेलाइटस से ग्रसित है। डायबिटीज से ग्रसित व्यक्तियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारत वर्ष में 07 प्रतिशत व्यक्ति ऐसे है जिनमें में कि डायबिटीज की बीमारी का पता चल चुका है। पुरुषों में यह प्रतिशत 7.2 और महिलाओं यह प्रतिशत 6.8 प्रतिशत है। शहरी क्षेत्रों के निवासियों में यह प्रतिशत 9.8 व ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों में यह प्रतिशत 5.7 है। वर्ष 2015 में पूरे भारत वर्ष में डायबिटीज के कैसेस की संख्या 69.1 मिलियन थी जो कि 2030 तक 98 मिलियन हो जायेगी।

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