शिमला- 26 मई। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने डॉक्टरों का नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) बंद कर दिया है। इस सम्बंध में प्रधान सचिव वित्त मनीष गर्ग ने आदेश जारी कर दिए हैं। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग,मेडिकल एजुकेशन,डेंटल,आयुष और पशुपालन विभाग में भर्ती होने वाले नए डॉक्टर को एनपीए नहीं मिलेगा।
राज्य सरकार के इस कदम से भविष्य में भर्ती होने वाले डॉक्टरों को वित्तीय नुकसान होगा। हालांकि सेवारत डॉक्टरों को यह पूर्व की तरह मिलता रहेगा। माना जा रहा है कि सुक्खू सरकार ने सूबे की माली वित्तीय हालत को देखते हुए एनपीए बंद करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय कि डॉक्टरों को बेसिक सैलरी का 20 फीसदी एनपीए दिया जाता है। इसका मकसद डॉक्टरों को चिकित्सीय सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करना है। यह भारत सरकार की सिफारिश पर सभी राज्यों में दिया जाता है।इस बीच सुक्खू सरकार के इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। इस फैसले का जहां डॉक्टर विरोध कर रहे हैं, वही विपक्षी दल भाजपा भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ उतर आई है। इस संबंध में भाजपा विधायक व मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि डॉक्टरों के नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद करने का निर्णय गलत है। डॉक्टर्स के साथ जनता के हित में इस निर्णय को वापस लिया जाना चाहिए।
दूसरी तरफ सरकार के इस फ़ैसले के खिलाफ प्रशिक्षु डॉक्टर भड़क गए हैं और उन्होंने इसे लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। आइजीएमसी एससीए के अध्यक्ष शिखिन सोनी ने कहा है कि राज्य सरकार अपने इस फैसले को जल्द वापस ले, अन्यथा प्रशिक्षु डॉक्टरों को बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा है कि सरकार का यह निर्णय डॉक्टरों के पक्ष में नहीं है और उनका मनोबल तोड़ने वाला है। इससे हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।
उन्होंने कहा कि एनपीए बंद करने को लेकर शुक्रवार को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय छात्र संघ की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें सरकार के इस कदम की भर्त्सना की गई। उन्होंने कहा कि अन्य मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टरों से भी इस मुद्दे पर बात हुई है और फैसला लिया गया कि सरकार के इस निर्णय का सामूहिक तौर पर विरोध किया जाएगा और सरकार ने यह फैसला नहीं बदला, तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।