बिहार

सेक्स वर्करों के भावानाओं को ठेस पहुंचाना जुर्म: GJ

नवादा- 2 जुलाई। सेक्स वर्क एक व्यापार है। सहमति से यौन संबंध बनाना अपराध नही है। हां, वेश्यालय चलाना अपराध है। उक्त बातें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह जिला जज रामसेवक नारायण पांडेय ने कही। सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अपील वाद संख्या 135/2010, बुद्धदेव करमास्कार बनाम पश्चिम बंगाल सरकार एवं अन्य में पारित आदेश व जारी निर्देश के आलोक में उक्त बातें कही। वे शनिवार को व्यवहार न्यायालय में सेक्स वर्कर पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित उक्त आदेश के आलोक में सेक्स वर्कर से सम्बंधित यह कार्यशाला का आयोजन किया गया है। ताकि उक्त आदेश व निर्देश को प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी जान सकें। अपराध में कथित रूप से संलिप्त कोई भी व्यक्ति दोष सिद्ध होने के बाद ही दोषी करार दिया जाता है। तब तक वह निर्दोष ही समझा जाता है। समाज के लोग, प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी के द्वारा सेक्स वर्कर को हीन दृष्टि से देखा जाता है।

जबकि सेक्स वर्कर एक आम आदमी है तथा अन्य आम लोगों की तरह सम्मान के साथ जीने का अधिकार उन्हें भी है। सेक्स वर्कर के सम्मान को ठेस पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है। पुलिस पदाधिकारी व प्रेस के लोगो का यह जानकारी दिया गया कि वेश्यावृत्ति में संलिप्त महिला का पहचान व फोटो उजागर नहीं किया जाना है। पहचान व फोटो को उजागर करना एक अपराध है। जिसमें एक से तीन साल तक की सजा है।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश से सम्बंधित जानकारी देते हुए प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कुमार अविनाश ने कहा कि आम स्थान पर यौन सम्बंध बनाना एक अपराध है। वहीं सहमति से यौन सम्बंध बनाना अपराध नहीं है। सेक्स वर्कर के बच्चों को उनकी माता से अलग नहीं किया जा सकता है। उनके बच्चे भी समाज में वही सम्मान व प्यार पाने के हकदार हैं जो समाज के अन्य बच्चे पाते हैं।

मुस्लिम वर्ग के लोगों को विदेश में नौकरी का प्रलोभन देकर उसे विदेशों में सेक्स वर्कर बना दिया जाता है। इसके पूर्व सेक्स वर्कर पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन जिला जज सह प्राधिकार के अध्यक्ष राजेश नारायण सेवक पांडेय, उपाध्यक्ष सह जिला पदाधिकारी उदिता सिंह, परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राधे श्याम शुक्ला, पुलिस अधीक्षक डॉ गौरव मंगला, प्राधिकार के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रवीण कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

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