लखनऊ-05 नवम्बर। विटमिन ‘के’, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्निशियम आदि पोषक तत्वों से भरपुर सरसों का साग सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इसका सेवन करने से हृदय स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य व आंख भी स्वस्थ रहती है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी इजाफा होता है और शरीर को हर रोग से लड़ने के लिए ताकत प्रदान करता है। इस संबंध में बीएचयू पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर जेपी सिंह का कहना है कि सरसों के साग में विटामिन के, मैगनीज, कैल्शियम, विटामिन बी व विटामिन सी भरपुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें हृदय को स्वस्थ रखने वाले बहुत से फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं। नाइट्रेट की उचित मात्र हृदय के लिए रक्त व ऊत्तकों में प्रयाप्त नाइट्राइट व नाइट्रिक एसिड का स्तर बनाये रखता है। खराब कोलेस्ट्राल को भी नियंत्रित करता है।
उन्होंने बताया कि इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइटोन्यूटिएंट़स मौजूद रहने के कारण हानिकारक जीवाणुओं के विकास को रोकने में यह सहायक है। रक्त शर्करा को नियंत्रित कर यह मधुमेह रोगियों को लाभ पहुंचाता है। यह मोटापे जैसी समस्या से भी निजात दिलाने में सहायक है। इसमें क्लोरोफिल की उच्च मात्रा होने के कारण जिगर को भी लाभ पहुंचाता है। रक्त में मौजूद विषाक्तता को दूर करने में सहायक है।
आयुर्वेदाचार्य डाक्टर जेपी सिंह ने बताया कि इसमें एंटीआक्सीडेंट के मुख्य घटक उच्च मात्रा में होते हैं, जिसके कारण शरीर को यह शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाते हैं। फ्री रेडिकल्स शरीर में कोशिकाओं के डीएनए को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। इससे कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों की होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने कहा कि इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी होने के कारण यह पाचन संबंधी समस्या भी दूर करता है। इसके सेवन से बवासीर व कब्ज जैसी समस्या नहीं आती है। यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में कहा कि इसमें ल्यूटिन और जेक्सैथिन जैसे एंटी आक्सीडेंट होते हैं। इस कारण यह मोतियाबिंद और आंखों की अन्य समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सरसो का साग का सेवन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्मृति हानि और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याओं के लिए भी यह फायदेमंद है। इसमें विटामिन की मात्रा मिलने के कारण यह दिमाग को स्वस्थ रखता है। हरी सब्जियों में ग्लूकोसाइनोलेटस नामक पदार्थों का समूह होने के कारण इनका स्वाद कड़वा होता है। लेकिन थायोसाइनेट, इंडोल, नाइट्राइल को बनाने के लिए ये टूट जाते हैं। ये सभी यौगिक मूत्राशय, स्तन, यकृत व पेट सहित अन्य संभावित कैंसर के विकास और डीएनए की क्षति को रोकने में मदद करते हैं।
