नई दिल्ली- 21 अगस्त। सफदरजंग अस्पताल में पहला सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) किया गया। मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित 45 वर्षीय महिला का ऑटोलॉगस बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया। इस प्रक्रिया में साइटोटॉक्सिक दवा डालने से पहले स्वयं के शरीर की स्टेम कोशिकाओं को संरक्षित किया जाता है और संरक्षित स्टेम कोशिकाओं को रोगियों के शरीर में फिर से डाला जाता है। रोगी की अस्थि मज्जा में स्टेम कोशिकाओं के प्रत्यारोपण में लगभग 12 दिन लगते हैं।
बीएमटी यूनिट प्रभारी डॉ. कौशल कालरा और डॉ. सुमिता चौधरी ने बताया कि पिछले दो सप्ताह रोगी के लिए महत्वपूर्ण थे, क्योंकि मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी और संक्रमण का खतरा था। महिला को 1 अगस्त, 2023 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 5 अगस्त, 2023 को अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण किया गया था। अब महिला पूरी तरह से स्वस्थ है। जल्दी ही मरीज को सफदरजंग अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
अस्पताल की मेडिकल अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि यह सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में पहला है। यह सुविधा मल्टीपल मायलोमा, लिम्फोमा और अन्य हेमेटोलॉजिकल मैलिग्नेंसी वाले रोगियों के लिए एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। डॉ. तलवार ने कहा कि निजी सेटअप में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की लागत लगभग 10-15 लाख होती है लेकिन सफदरजंग अस्पताल में यह बेहद कम लागत पर किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस यूनिट का उद्घाटन इसी वर्ष जून माह में किया गया था।