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संविधान उद्यान के निर्माण से संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी: राष्ट्रपति

जयपुर- 03 जनवरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों में संवैधानिक नैतिकता की भावना जाग्रत करने के लिए कार्य किए जाने पर बल दिया है। राष्ट्रपति ने राजभवन में संविधान उद्यान के निर्माण की सराहना करते हुए कहा कि इससे संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

राष्ट्रपति मुर्मू मंगलवार को राजभवन में संविधान उद्यान के लोकार्पण अवसर पर सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा और जीवंत लोकतंत्र है और हमारा संविधान इसका आधार है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर संविधान का निर्माण किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्थान का समानता और महिला सशक्तिकरण में बड़ा योगदान है। महिला सशक्तिकरण और बाल विवाह के खिलाफ कानून राजस्थान के हरविलास शारदा ने बनाया। हरविलास शारदा ने 1938 में कानून का मसौदा बनाया था। जो बाद में शारदा एक्ट के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परम्परा बहुत प्राचीन है। बोधि संघ में भी संसदीय प्रक्रियाओं को निभाने का पालन किया जाता था। उन्होंने संविधान को जीवंत दस्तावेज बताते हुए कहा कि यह समय के साथ बदलती जनमानस की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है। राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि संविधान को मानने वाले लोग खराब निकले तो निश्चित रूप से संविधान खराब सिद्ध होगा। दूसरी तरफ अगर संविधान को मानने वाले लोग अच्छे हुए तो संविधान अच्छा सिद्ध होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश में पंचायत से संसद तक महिलाएं अपनी उपस्थिति निरंतर बढ़ा कर राष्ट्र और समाज की सेवा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा में 82 और राज्यसभा में 33 महिला सदस्य हैं। यह पहली बार है जब संसद में 100 से अधिक महिला सांसद प्रनिधित्व कर रही हैं । राष्ट्रपति ने इस अवसर पर संविधान निर्माण से जुड़ी विभूतियों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया। उन्होंने संविधान सभा की महिला सदस्यों के योगदान को भी याद किया ।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने संबोधन के आरम्भ में ’संविधान उद्यान’ के लोकार्पण के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भारतीय संस्कृति का जीवंत दर्शन है। संविधान के लेखन, इसे निर्मित करने के लिए बनाई गयी संविधान सभा, संविधान सभा की बैठकों, संविधान निर्माण में संलग्न रहे महापुरुषों की इसमें भूमिका और इसे लागू किए जाने की यात्रा बहुत अर्थपूर्ण है। संविधान उद्यान में इस यात्रा को विभिन्न मूर्तिशिल्पों, छाया-छवियों, मॉडल्स और अन्य कलात्मक माध्यमों के जरिए जीवंत करने का प्रयास किया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि राजभवन में आने वाले हमारे संविधान और उससे जुड़ी संस्कृति के बारे में जान सकें, इस उद्देश्य से यहां संविधान उद्यान का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान उद्यान संविधान निर्माण से लेकर उसे लागू करने तक की ऐतिहासिक यात्रा का ही साक्षी नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति का भी कला-रूप है। उन्होंने कहा कि संविधान देश के आदर्शों, उद्देश्यों व मूल्यों का प्रतिबिम्ब है।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि संविधान को देश की विविधता की हमारी सामाजिक संस्कृति को ध्यान में रखते तैयार कर लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावना है। संविधान की प्रस्तावना में इसकी शक्ति सीधे जनता में निहित की गयी है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के निर्माण के साथ ही देश में महिलाओं सहित सभी नागरिकों को बराबरी के अधिकार दिए गए, यह भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर और संविधान सभा के सदस्यों की पवित्र सोच को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान के प्रति भावना हर प्रदेश वासी के दिल में रहनी चाहिए। संविधान देश की अखंडता, एकता और समानता के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अब तक एक भी महिला राष्ट्रपति नहीं चुनी गई जबकि हमारे देश ने अब तक दो महिला राष्ट्रपतियों को चुना है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में जहां महिलाओं को मताधिकार देने में आजादी से 131 साल लग गए वहीं इंग्लैंड को 100 वर्ष बाद महिलाओं को मताधिकार मिला जबकि हमारे संविधान ने आजादी के साथ ही महिलाओं को मताधिकार दिया। हमारा देश एक है, अखंड है, यह गर्व की बात है। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपका व्यक्तित्व कृतित्व हम सबको प्रेरणा देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की मूल भावना हर नागरिक को पता होनी चाहिए, इसे ध्यान में रखते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र संवैधानिक जागरूकता के लिए बहुत प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजभवन में नवनिर्मित संविधान पार्क संवधानिक आदर्शों, मूल्यों और इसकी मूल भावना के प्रसार को आगे बढ़ाएगा ।

संविधान उद्यान का अवलोकन कर इसके शिल्प को सराहा

राष्ट्रपति मुर्मू ने शिला पट्टिका का अनावरण कर संविधान उद्यान का लोकार्पण किया। इसके उपरान्त उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी एवं नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल के साथ संविधान उद्यान का भ्रमण किया। उन्होंने विभिन्न मूर्तियों, छायाचित्रों, मॉडल आदि में संजोई गई भारतीय संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा का अवलोकन किया। उन्होंने राजभवन में स्थापित फ्लैग पोस्ट, मयूर स्तम्भ, गांधी प्रतिमा एवं महाराणा प्रताप प्रतिमा की सराहना की। उन्होंने संविधान उद्यान के कलात्मक एवं विशद प्रस्तुतीकरण और वृहद शिल्प को महत्वपूर्ण बताते कहा कि इससे यहां आने वाले लोग संविधान की संस्कृति से जुड़ेंगे। राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल एवं आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया भी इस दौरान साथ रहे।

राज्यपाल ने राष्ट्रपति मुर्मू को इस अवसर पर संविधान उद्यान पर प्रकाशित पुस्तक और स्मृति चिह्न भेंट किया। कार्यक्रम में संविधान उद्यान पर आधारित चलचित्र का भी प्रदर्शन किया गया।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा राजस्थान में सौर ऊर्जा क्षेत्रों के लिए स्थापित पारेषण तंत्र का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने एक हजार मेगावाट की बीकानेर सौर विद्युत परियोजना का वर्चुअल शिलान्यास भी किया।

कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल, राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्यगण, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चन्द कटारिया, सांसद, विधायक, मुख्य सचिव उषा शर्मा, जनप्रतिनिधि, गण्यमान्यजन और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

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