श्री अन्न की जननी है भारत भूमि: कृषि मंत्री पटेल

भोपाल/ देहरादून- 12 अप्रैल। मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने कहा कि श्री अन्न (मिलेट) की जननी भारत भूमि है। आज इसका उत्पादन संसार के 131 देशों में हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम और सफल नेतृत्व में निराशा को आशा में बदलने का कार्य किया जा रहा है। उन्हीं की प्रेरणा से संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है।

कृषि मंत्री पटेल बुधवार को उत्तराखण्ड के मसूरी में “मिलेट्स: पोटेंशियल एण्ड अपार्चुनिटी” विषय पर हो रहे राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार का शुभारंभ उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया।

कृषि मंत्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में देवभूमि उत्तराखण्ड की सरकार ने भी महत्वपूर्ण कार्य करते हुए श्री अन्न संबंधी राष्ट्रीय सेमिनार किया है। ऋषि-मुनियों की भूमि की सर्वाधिक आय कृषि पर ही निर्भर रही है। आज भी भारत कृषि प्रधान देश है। किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इस रीढ़ को और मजबूत करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की चिंता की और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिये विभिन्न कल्याणकारी योजनाएँ लागू की। मंत्री पटेल ने सेमिनार में शामिल सभी का मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के किसानों की ओर से स्वागत एवं अभिनंदन किया।

कृषि मंत्री पटेल ने बताया कि मध्य प्रदेश में राज्य मिलेट मिशन बनाया गया है। इसके जरिये कोदो-कुटकी, सांबा, रागी, ज्वार-बाजरा जैसे श्री अन्न (मोटे अनाज) के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। उत्पादित फसल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मॉर्केटिंग के लिये भी आवश्यक प्रबंध किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश की आँगनवाड़ियों में सप्ताह में एक दिन पोषण आहार के रूप में श्री अन्न परोसा जाएगा। मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये गो-पालन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही बोर्ड का गठन भी किया गया है।

कृषि मंत्री पटेल ने आशा व्यक्त की कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी की पहल रंग लाएगी और भारत का श्री अन्न पूरी दुनिया में छाएगा। उन्होंने कहा कि सेमिनार से सकारात्मक परिणाम आयेंगे, जिसका लाभ पूरे देश ही नहीं, विश्व को भी मिलेगा।

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Author: lakshyatak

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