कानपुर- 05 दिसम्बर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति और एआईयू के उपाध्यक्ष प्रोफेसर विनय पाठक ने लंदन में यूकेएनआईसी वार्षिक सम्मेलन में कहा कि शिक्षा में भारत और ब्रिटेन का परस्पर सहयोग नए मानक गढ़ सकता है। दोनों देशों को कौशल आधारित शिक्षा में एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझना होगा।
उन्होंने कहा भारत में नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक विकास के नए अध्याय निर्मित हो रहे हैं। ऐसे में भारतीय शिक्षा प्रणाली की अंतरराष्ट्रीयकरण क्षमता सभी के लिए नए अवसर प्रदान कर रही है। उन्होंने भारतीय शिक्षा के ऐतिहासिक परिदृश्य के साथ-साथ भविष्य के विजन पर भी प्रकाश डाला।
प्रो. पाठक यूकेएनआईसी के दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में पैनल में विशिष्ट वक्ता के तौर पर बोल रहे थे। चार और पांच दिसम्बर को लंदन में हो रहे इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्तियां एक साथ एक मंच पर उपस्थित थी। प्रोफेसर पाठक ने विभिन्न वैश्विक शैक्षिक निकायों के सीईओ के साथ अकादमिक चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया।
उन्होंने भारत और यूनाइटेड किंगडम के उच्च शिक्षा क्षेत्रों के बीच घनिष्ठ सम्बंध विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने वाले दो उच्च-स्तरीय पैनलों में भी अपने विचार प्रस्तुत किए। ‘भारत-यूके उच्च शिक्षा सहयोग को मजबूत करना’, विषय पर उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा प्रणाली कौशल आधारित और रोजगार परक भविष्य को केंद्रित करते हुए कार्य कर रही है। पैनल में यूके गवर्नमेंट के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों, विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों, शिक्षा और इंडस्ट्री के नामचीन भी उपस्थित थे।
भारतीय शिक्षा प्रणाली में चल रहे सुधारों पर जोर देते हुए प्रोफेसर पाठक ने स्नातकों को भविष्य के लिए तैयार और रोजगार योग्य बनाने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कौशल शिक्षा और भारतीय शिक्षा प्रणाली की अंतरराष्ट्रीयकरण क्षमता बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में भारत और यूके के बीच सहयोग की सम्भावना को रेखांकित किया।
‘भारतीय उच्च शिक्षा में प्रावधान की विविधता’ शीर्षक वाले दूसरे पैनल में प्रोफेसर पाठक ने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की समृद्धि और गहराई के आयामों पर अपनी विचार रखे। यूकेईसीसीटीआईएस के पैनलिस्टों ने भारतीय उच्च शिक्षा परिदृश्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
प्रो पाठक ने भारत में विशाल शिक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने वाली शासन संरचना और नियमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के परिवर्तनकारी लक्ष्यों को स्पष्ट किया, जिसमें भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों को एक नए अवसर के साथ स्वयं को तैयार करने पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर उन्होंने भारतीय विश्वविद्यालयों की ग्रेडिंग और रैंकिंग प्रणालियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की।