भारत

 शिक्षा का उद्देश्य सदाचार, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा जैसे जीवन-मूल्यों को आत्मसात करना: राष्ट्रपति

पतंजलि विश्वविद्यालय महर्षि पतंजलि की तप, साधना और ज्ञान परंपरा को आधुनिक समाज के लिए सुलभ बना रहा है: द्रौपदी मुर्मु

हरिद्वार- 02 नवंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हरिद्वार के पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में 1454 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। इनमें 62 शोधार्थियों को विद्या वारिधि और 3 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई, जबकि 615 विद्यार्थियों को परास्नातक और 774 विद्यार्थियों को स्नातक की उपाधि प्रदान की गई।

रविवार को आयोजित इस दीक्षांत समाराेह में राष्ट्रपति मुर्मु ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को आशीर्वाद देते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत बेटियां हैं तथा पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों से चार गुना अधिक है। यह उपलब्धि विकसित भारत के उस स्वरूप का परिचायक है, जिसमें महिलाएं नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय महर्षि पतंजलि की तप, साधना और ज्ञान परंपरा को आधुनिक समाज के लिए सुलभ बना रहा है। विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से स्वस्थ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की भारत-केन्द्रित शिक्षा-दृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि इसमें विश्व बंधुत्व की भावना, वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समन्वय और वैश्विक चुनौतियों के समाधान संनिहित है। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान-प्राप्ति नहीं है, बल्कि सदाचार, तपस्या, सरलता और कर्तव्यनिष्ठा जैसे जीवन-मूल्यों को आत्मसात करना भी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी स्वाध्याय और तपस्या जैसे आदर्शों का पालन करते हुए स्वस्थ, संस्कारित और समरस समाज के निर्माण में योगदान देंगे।

समाराेह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने राष्ट्रपति के देवभूमि आगमन को गर्व का क्षण बताया। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का प्राण-केंद्र है। उत्तराखंड की ऋषि-परंपरा आज भी हमें यह प्रेरणा देती है कि ज्ञान का सर्वोच्च उद्देश्य केवल आत्म-विकास नहीं, बल्कि विश्व-कल्याण है। राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने राष्ट्र, प्रदेश और समाज की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे तथा अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं प्रशिक्षण का उपयोग मानव-कल्याण के लिए करेंगे। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने राष्ट्रपति मुर्मु को दो पुस्तकें ‘फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन’ एवं ‘मेडिसिनल प्लांट्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ भेंट कीं।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देवभूमि उत्तराखंड की सवा करोड़ देवतुल्य जनता की ओर से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मु ने सदैव अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए समाज के वंचित, शोषित एवं पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए कार्य किया है। उनके व्यक्तित्व में मातृत्व की ममता, सेवा का संकल्प और राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण का अद्भुत संगम निहित है। यह हम सभी उत्तराखंडवासियों का सौभाग्य है कि राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के इस ऐतिहासिक अवसर पर हमें राष्ट्रपति का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।

धामी ने कहा कि स्वामी रामदेव के मार्गदर्शन में पतंजलि विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा को भारतीय संस्कारों और परंपराओं से जोड़ने का अतुलनीय कार्य कर रहा है। यहां विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जहाँ विद्यार्थी केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-मूल्यों की भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। पतंजलि विश्वविद्यालय ने आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के समन्वय से ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित की है, जो योग, आयुर्वेद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार अनेक नवाचार कर रही है। भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास के गहन अध्ययन के लिए दून विश्वविद्यालय में ‘सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज’ की स्थापना की गई है। देहरादून में साइंस सिटी, हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क और अल्मोड़ा में साइंस सेंटर के निर्माण के माध्यम से राज्य में वैज्ञानिक अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्याय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने पंतजलि के समाजिक क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों तथा विश्वविद्यालय की हासिल उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, डॉ. कल्पना सैनी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

राष्ट्रपति ने इन छात्र-छात्राओं को प्रदान किए मेडल

90 प्रतिशत अंक के साथ विश्वविद्यालय की टॉपर साध्वी देवपूजा, देवेन्द्र सिंह (स्वामी इन्द्रदेव) एमए संस्कृत व्याकरण 94 प्रतिशत, बीए संस्कृत व्याकरण 89 प्रतिशत, मानसी (साध्वी देववाणी) (ट्रिपल गोल्ड मेडलिस्ट – बीए संस्कृत व्याकरण, एमए संस्कृत व्याकरण तथा एमए योगा साइंस), अजय कुमार (स्वामी आर्षदेव) एमए दर्शन में 92 प्रतिशत, रीता कुमारी (साध्वी देवसुधा) एमए संस्कृत व्याकरण 90 प्रतिशत, शालू भदौरिया (साध्वी देवशीला) बीए दर्शन में 90 प्रतिशत, अंशिका बीए योगा साइंस 87 प्रतिशत, प्रीति पाठक, एमए साइकोलॉजी में 87 प्रतिशत, पूर्वा, एमएससी योगा साइंस 85 प्रतिशत और मैत्रेई, बीएस-सी योगा साइंस में 83 प्रतिशत पाने वाले विद्यार्थियाें काे मेडल प्रदान किए।

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