
शाहीन बाग धरने पर दिए गए फैसले को स्पष्ट करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
नई दिल्ली- 24 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शाहीन बाग के धरने को लेकर दिए गए फैसले को स्पष्ट करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये फैसला सब कुछ साफ-साफ कह रहा है, अब इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि जब ये मसला ही खत्म हो गया है तो इसे लिस्ट क्यों किया गया है। याचिका सैयद बहादुर अब्बास नकवी ने दायर किया था। दरअसल, 7 अक्टूबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विरोध प्रदर्शन करने के लिए सार्वजनिक स्थान पर अनिश्चित काल के लिए कब्जा नहीं जमाया जा सकता है। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका हैं। विधायिका ने नागरिकता संशोधन कानून को पारित किया है और इस कानून के समर्थक और विरोधी दोनों हैं। इसकी वैधता का सवाल कोर्ट में लंबित है।
कोर्ट ने शाहीन बाग समेत देश भर में हुए विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा था कि शाहीन बाग ने कोई समाधान नहीं दिया। कोरोना महामारी की वजह से इसे हटाना पड़ा। विरोध प्रदर्शनों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता है। प्रदर्शनों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है। असहमति और लोकतंत्र साथ-साथ चलते हैं लेकिन विरोध प्रदर्शनों का स्थान नियत होना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि हम तकनीकी विकास के जमाने में जी रहे हैं।



