
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर बोले PM मोदी, कहा- विकसित भारत के लिए गांवों को बनाना होगा मजबूत
रीवा- 24 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए समर्पित भाव से निरंतर प्रयासरत हैं। विकसित भारत के लिए गाँवों की सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था में सुधार और पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करना आवश्यक है। हमारी सरकार इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। गाँव-गरीब का जीवन आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार ने जो योजनाएँ बनाई हैं, उन्हें पंचायती राज संस्थाएँ प्रभावी तरीके से जमीन पर उतार रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर देशभर की पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के साथ-साथ विशेष ग्राम सभाओं को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह की उपस्थिति में रीवा में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह से प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के 4 लाख 11 हजार हितग्राहियों को वर्चुअल गृह प्रवेश कराया। साथ ही मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन की 7853 करोड़ रुपये की लागत की रीवा, सतना और सीधी जिलों के लिए स्वीकृत 5 बड़ी समूह जल-प्रदाय योजनाओं का शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के रेल नेटवर्क के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण को राष्ट्र को समर्पित कर 2300 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास एवं शुभांरभ किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वर्ष 2014 के पहले पंचायतों के लिए मात्र 70 हजार करोड़ रुपये का वित्त आयोग का अनुदान था, जो हमारी सरकार के दौरान 2 लाख करोड़ से अधिक का हुआ है। पंचायतों को सुदृढ़ करने की दिशा में पिछले 8 साल में 30 हजार से अधिक पंचायत भवनों का निर्माण किया गया है। पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर की कनेक्टिविटी का विस्तार करते हुए 2 लाख से अधिक गाँवों में ऑप्टिकल फाइबर का जाल बिछाया गया है। स्वतंत्रता के पहले से देश में व्यवस्था का आधार रही पंचायती राज संस्थाओं पर पिछली सरकारों ने भरोसा नहीं किया। पंचायतों के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई। हमारी सरकार ने वर्ष 2014 के बाद पंचायतों के सशक्तिकरण का बीड़ा उठाया और आज परिणाम सामने हैं। पंचायतें देश के विकास की प्राणवायु बन कर उभरी हैं।
उन्होंने कहा कि पंचायतों की मदद से गाँव और शहरों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास भी निरंतर जारी है। डिजिटल माध्यम से पंचायतों को स्मार्ट बनाया जा रहा है। अमृत सरोवरों के निर्माण में ड्रोन से सर्वे कराने के साथ निर्माण प्रक्रिया में अद्यतन तकनीक का उपयोग किया गया है। आज लोकार्पित किया गया एकीकृत ई-ग्राम स्वराज और जीईएम पोर्टल पंचायतों को अधिक सशक्त और उनकी व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनायेगा। आधुनिक तकनीक का लाभ प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना में स्पष्टत: दिखाई दे रहा है। गाँवों के आबादी क्षेत्र के ड्रोन टेक्नोलॉजी से हुए सर्वे और मानचित्रीकरण से सम्पत्ति के संबंध में बनने वाली विवाद की स्थितियाँ निर्मूल हुई हैं। देश के 75 हजार गाँवों में इसका कार्य पूर्ण हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की आधी से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। उनकी बेहतर व्यवस्था के बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता। हमारी सरकार ने वर्ष 2014 के बाद गाँवों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उज्ज्वला योजना में रसोई गैस के 10 करोड़ से अधिक कनेक्शन और गाँवों में 3 करोड़ 75 लाख से अधिक आवासों का निर्माण इसके स्पष्ट प्रमाण हैं। प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना से गाँवों के लाखों घरों में बिजली पहुँची है। जल जीवन मिशन से देश के 9 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को घर में नल से जल मिल रहा है। इनमें से 60 लाख घर मध्य प्रदेश के हैं। पिछली सरकारों ने गाँव के लोगों का देश के बैंकों पर अधिकार ही नहीं माना। गाँव के लोगों के न बैंक में खाते थे और न ही उन्हें बैंक से कोई सुविधा मिल पाती थी। हमारी सरकार ने जन-धन योजना में 40 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खुलवाए, पोस्ट ऑफिस का उपयोग कर गाँवों तक बैंकों की पहुँच बढ़ाई और बैंक मित्र एवं बैंक सखी के माध्यम से लोगों को बैंकों से जोड़ा। इस अभियान का प्रभाव गाँवों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। खेती-किसानी से लेकर व्यापार तक में ग्रामीणों को बैंकों की मदद मिल रही है।
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में करीब ढाई लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में भेजे गए हैं। इस योजना से मध्य प्रदेश के लगभग 90 लाख किसानों को 18 हजार 500 करोड़ रुपये मिले हैं। रीवा के किसानों को इस निधि से लगभग 500 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। एमएसपी बढ़ाने से गाँवों में अतिरिक्त राशि पहुँच रही है। साथ ही गाँव में रहने वाले गरीब परिवारों को कोरोना काल से मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। गरीब कल्याण की इस योजना पर भी 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। गाँवों में हो रहे इन कार्यों से रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं। गाँव के युवाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से संचालित मुद्रा योजना में 24 लाख करोड़ रुपये की मदद दी गई है।
उन्होंने कहा कि खेती में बढ़ते रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग ने धरती के लिए संकटपूर्ण स्थिति निर्मित कर दी है। सभी पंचायत प्रतिनिधियों को धरती की सेहत सुधारने के लिए कृत-संकल्पित होना होगा। हम प्राकृतिक खेती अपना कर और लोगों को यह पद्धति अपनाने के लिए प्रेरित कर अपना योगदान दे सकते हैं। पंचायतें प्राकृतिक खेती पर केन्द्रित जन-जागरण अभियान चलाएँ।



