हेल्थ

राजस्थान बना ‘राइट टू हेल्थ’ लागू करने वाला देश का पहला राज्य

जयपुर- 04 अप्रैल। सरकार और चिकित्सकों बीच राइट टू हेल्थ (आरटीएच) को लेकर लंबे समय चल रहा गतिरोध मंगलवार को समाप्त हो गया। चिकित्सकों और सरकार के बीच आठ मांगों पर समझौता होने के साथ ही राजस्थान ‘राइट टू हेल्थ’ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि चिकित्सकों का जनहितैषी कानून पर सहमत होना सुखद संकेत है।

गहलोत ने कहा है कि सभी प्रदेशवासियों ने इस बिल के पक्ष में राज्य सरकार का सहयोग किया और आगे बढ़कर इस जनहितैषी बिल का स्वागत किया है। अब चिकित्सकों की भी इस महत्वपूर्ण बिल पर सहमति बनना सुखद संकेत है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि सभी चिकित्सक तुरंत प्रभाव से काम पर वापस लौटेंगे और स्वास्थ्य का अधिकार, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं आरजीएचएस जैसी योजनाओं को सरकारी एवं निजी अस्पताल मिलकर सफल बनाएंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निजी एवं सरकारी अस्पतालों ने जिस तरह कोरोनाकाल में बेहतरीन प्रबंधन कर मिसाल कायम की, उसी तरह इन योजनाओं को धरातल पर सफलतापूर्वक लागू कर ‘राजस्थान मॉडल ऑफ पब्लिक हेल्थ‘ पेश करेंगे।

मुख्य सचिव उषा शर्मा के निवास पर प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा टी. रविकांत एवं आईएमए, उपचार तथा पीएचएनएस के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई, जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर दोनों पक्षों की ओर से सहमति व्यक्त की गई। समझौते के अनुसार ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ लागू करने के प्रथम चरण में 50 बेड से कम के निजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा। जिन निजी अस्पतालों ने सरकार से कोई रियायत नहीं ली है या अस्पताल के भू-आंवटन में कोई छूट नहीं ली है, उन पर भी इस कानून की बाध्यता नहीं होगी।

समझौते के अनुरूप प्राइवेट मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल्स, पीपीपी मोड पर संचालित अस्पताल, निःशुल्क या अनुदानित दरों पर भू-आवंटन वाले अस्पताल, ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों पर यह कानून लागू होगा। समझौते में इस बिंदु पर भी सहमति व्यक्त की गई कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर चल रहे अस्पतालों का ‘कोटा मॉडल‘ के अनुरूप नियमितीकरण पर विचार किया जाएगा। कोटा मॉडल के तहत उन अस्पतालों के भवनों को नियमों में शिथिलता प्रदान कर नियमित करने पर विचार किया जाएगा, जो आवासीय परिसर में चल रहे हैं।

समझौते के अनुसार आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस एवं अन्य केस वापस लिए जाएंगे। निजी अस्पतालों को लाइसेंस एवं अन्य स्वीकृतियां जारी करने के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम लाए जाने पर विचार किया जाएगा। निजी अस्पतालों को फायर एनओसी प्रत्येक पांच साल में देने के बिंदु पर विचार किया जाएगा। साथ ही यह भी सहमति व्यक्त की गई कि भविष्य में स्वास्थ्य के अधिकार कानून से संबंधित नियमों में बदलाव आईएमए के प्रतिनिधियों से चर्चा कर किया जाएगा।

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