ताज़ा ख़बरें

योगी कैबिनेट ने उप्र वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स नीति-2022 को दी मंजूरी

लखनऊ- 22 दिसंबर। उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने गुरुवार को ‘उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स नीति-2022’ को स्वीकृति प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक ने राज्य सरकार के कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी पारित किया।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नयी प्रौद्योगिकियों के विकास को देखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का कारोबारी माहौल सृजित करने हेतु प्रदेश में लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के दृष्टिगत यह नीति बनायी गयी है। इस नीति से प्रदेश में निजी लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना करने पर रियायतें मिलेगी।

प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में बढ़ते औद्योगिक निवेश के मद्देनजर भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए नए निजी लॉजिस्टिक पार्क बनाए जाएंगे। निजी लॉजिस्टिक पार्क के लिए निवेशकों को फास्ट ट्रैक आधार पर भूमि का आवंटन किया जाएगा। निजी लॉजिस्टिक पार्क स्थापित करने पर स्टांप ड्यूटी और भू उपयोग परिवर्तन शुल्क में रियायतें दी जाएगी।

सरकार का मानना है कि इस नीति के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर की बनाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। यह नीति अगले 05 वर्षों के लिए प्रभावी होगी। इस नीति की अधिसूचना निर्गत होने पर ‘उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स नीति-2018’ निरसित हो जाएगी।

‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ के क्रियान्वयन सम्बन्धी दिशा-निर्देश अनुमोदित—

योगी कैबिनेट ने आज की बैठक में ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ के क्रियान्वयन से सम्बन्धित दिशा-निर्देशों को अनुमोदित कर दिया है। यह निर्णय भी लिया गया कि योजना के दिशा-निर्देशों में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री अधिकृत होंगे।

मत्स्य उत्पादन में प्रचुर बढ़ोत्तरी किये जाने तथा मछुआ समुदाय एवं मत्स्य पालकों की स्थिति में समग्र रूप से गुणात्मक विकास लाये जाने हेतु भारत सरकार द्वारा 20 मई, 2020 से ‘प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ लागू की गयी है। मत्स्य क्षेत्र से प्रदेश में लगभग 39 लाख मछुआरों एवं मत्स्य पालकों को आजीविका प्राप्त होती है। इस क्षेत्र में उत्पादकता वृद्धि और मत्स्य पालकों की आर्थिक समृद्धि की अपार सम्भावनाएं हैं। इसके दृष्टिगत प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में वृद्धि लाने व ग्रामीण अंचलों में आवासित स्थानीय मत्स्य पालकों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान हेतु प्रदेश सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ के रूप में एक नवीन राज्य योजना प्रस्तावित की जा रही है।

प्रदेश में ग्राम सभा के तालाबों में मत्स्य पालन का कार्य स्थानीय मछुआरों व पट्टाधारकों द्वारा परम्परागत तरीके से किया जा रहा है। इन तालाबों की वार्षिक मत्स्य उत्पादकता मात्र 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इन तालाबों का मनरेगा कन्वर्जेन्स के माध्यम से सुधार कराकर अथवा स्वयं के संसाधन से सुधारे गये ग्राम सभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य पालन हेतु अनुदान उपलब्ध कराते हुए मत्स्य उत्पादकता को 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। ग्राम सभा के तालाबों के पट्टाधारकों व मछुआरों की आय में वृद्धि व उनका आर्थिक व सामाजिक उत्थान किया जाना सरकार की प्राथमिकताओं में सम्मिलित है। वर्तमान में प्रचलित ‘प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों पर कोई परियोजना अनुमन्य नहीं है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इसी रिक्तता को भरने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ प्रस्तावित की जा रही है।

‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ का क्रियान्वयन 02 उप योजनाओं-‘कम्पोनेन्ट ए’ एवं ‘कम्पोनेन्ट बी’ के माध्यम से किया जाएगा। ‘कम्पोनेन्ट ए’ के तहत मनरेगा कन्वर्जन्स अथवा पट्टाधारक स्वयं तथा अन्य विभागों के माध्यम से सुधारे गये ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में प्रथम वर्ष निवेश पर अनुदान हेतु इकाई लागत 04 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। योजना के कार्यान्वयन के लिए जिला स्तर पर लाभार्थी चयन एवं अनुमोदन, योजना के पर्यवेक्षण व निगरानी हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। मत्स्य विभाग का जिला स्तरीय अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव होगा। लाभार्थियों का चयन जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। इच्छुक लाभार्थियों के आवेदन विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन प्राप्त किये जाएंगे। पूर्ण पट्टा अवधि में पट्टाधारक को किसी भी एक परियोजना में एक बार ही लाभ देय होगा। लाभार्थी चयन में जनपद स्तर पर उपयुक्तता के आधार पर यथासम्भव सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। लाभार्थी चयन के उपरान्त स्थल का प्रारम्भिक सर्वेक्षण मत्स्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।

महुआ के फूल,लाख,आंवला व चिरौंजी का अब आसानी से हो सकेगा विपणन—

कैबिनेट ने एक अन्य फैसले में महुआ के फूल, महुआ के बीज, लाख, आंवला के फलों एवं चिरौंजी को उत्तर प्रदेश इमारती लकड़ी और अन्य वन उपज का अभिवहन नियमावली, 1978 से मुक्त करने के सम्बन्ध में अधिसूचना निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके माध्यम से प्रदेश में महुआ के फूल व बीज, लाख, आंवला के फलों और चिरौंजी के उपभोग और विपणन की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है।

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि वनों में निवास करने वाले अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परम्परागत वन निवासियों, लघु एवं सीमान्त कृषकों की आय में वृद्धि तथा इन वन उपजों के सतत् विदोहन एवं विपणन से उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए महुआ के फूल तथा बीज, लाख, आंवला का फल एवं चिरौंजी को उत्तर प्रदेश इमारती लकड़ी और अन्य वन उपज का अभिवहन नियमावली, 1978 के प्राविधानों से मुक्त किए जाने का निर्णय लिया गया है।

चिकित्सा महाविद्यालय देवरिया होगा केन्द्रीय वातानुकूलित—

योगी कैबिनेट ने महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, देवरिया को केन्द्रीय वातानुकूलित करने एवं अन्य सुविधाओं के संबंध में भी निर्णय लिया है। इस मेडिकल कालेज में 30 बेडेड ट्रॉमा सेण्टर, 20 बेडेड बर्न वॉर्ड एवं 20 बेडेड टॉक्सीकोलॉजी वॉर्ड युक्त भवन का निर्माण कार्य जारी है। कैबिनेट ने भवन के निर्माण की प्रायोजना में सम्मिलित आवासीय भवनों में मिनरल फाइबर, एकास्टिकल फॉल्स सीलिंग, केन्द्रीय वातानुकूलन (वी0आर0वी0/वी0आर0एफ0 सिस्टम), ग्रेनाइट वॉल लाइनिंग एवं मेटल फॉल्स सीलिंग आदि उच्च विशिष्टियों को अनुमोदित कर दिया है।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button