यूसुफ पठान का नाम प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने से पहले हमसे बात करनी थीः अभिषेक बनर्जी

कोलकाता- 19 मई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कौन प्रतिनिधि जाएगा, यह केवल पार्टी ही तय करेगी। भाजपा को यह अधिकार नहीं कि वह हमारे प्रतिनिधि का नाम तय करे। यूसुफ पठान का नाम सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने से पहले केंद्र सरकार को हमसे बात करनी चाहिए थी। उधर भाजपा ने इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखने का आरोप लगाया है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर सबूत पेश करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान का नाम शामलि किया गया था। लेकिन ममता बनर्जी ने अचानक उनके जाने पर रोक लगा दी। इसे लेकर सियासत गर्म हो गई है। उधर कोलकाता एयरपोर्ट पर दिल्ली रवाना होने से पहले सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पत्रकारों को बताया कि यह निर्णय राजनीतिक नहीं, बल्कि पार्टी के आंतरिक विचार-विमर्श का हिस्सा था। हम किसी का अपमान नहीं करना चाहते, लेकिन प्रतिनिधिमंडल में ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो हर स्तर पर पार्टी की बात को स्पष्टता से रख सके, विशेषकर नीति, संगठन और राष्ट्रीय दृष्टिकोण सभी मामलों में।

उन्होंने कहा कि तृणमूल ही एकमात्र पार्टी है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार का समर्थन किया है। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब बात देश की सुरक्षा की होती है, तब तृणमूल हमेशा साथ खड़ी होती है। लेकिन प्रतिनिधि कौन होगा, यह निर्णय पार्टी का ही रहेगा।इससे पहले तृणमूल की ओर से एक बयान में कहा था कि पार्टी विदेश नीति में केंद्र सरकार के अधिकार को स्वीकार करती है और वह राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी सकारात्मक कदम का समर्थन करती रहेगी।

गौरतलब है कि शनिवार रात केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने यूसुफ पठान से संपर्क कर उन्हें इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का अनुरोध किया था। साथ ही उन्होंने पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी भी ली थी। लेकिन अगली ही सुबह तृणमूल की ओर से साफ कर दिया गया कि यूसुफ इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं होंगे और पार्टी ने उनका नाम वापस ले लिया है।

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Author: lakshyatak

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