भारत

यूक्रेन से युद्ध के बीच भारत को दूसरे एस-400 स्क्वाड्रन की आपूर्ति करेगा रुस

नई दिल्ली- 06 मार्च। यूक्रेन से चल रहे युद्ध का भारत को रूस से मिलने वाले हथियारों की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि रूस इसी महीने भारत को एयर मिसाइल डिफेन्स सिस्टम एस-400 का प्रशिक्षण स्क्वाड्रन देगा। रूस से दूसरे एस-400 स्क्वाड्रन की आपूर्ति जून में की जाएगी। अभी पिछले हफ्ते भारतीय वायु सेना के वाइस चीफ एयर मार्शल संदीप सिंह ने कहा था कि भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं और आगे भी बेहतर रहेंगे। इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।

भारत ने रूस के साथ पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये में सौदा किया था। पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। भारत इसके लिए 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का भुगतान भी कर चुका है। रूस और भारत के रक्षा मंत्रियों ने पिछले साल दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान 06 दिसम्बर को एस-400 सौदे को अंतिम रूप दिया था। इसके बाद रूस में बने ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पहली खेप दिसंबर में ही भारत पहुंच गई थी। यह सिस्टम पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। यहां से यह पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है।

रूस से मिलने वाले बाकी चार एयर मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की आपूर्ति 2022 में किये जाने का वादा किया गया था लेकिन 10 दिन पहले यूक्रेन से युद्ध छिड़ने के बाद इनकी आपूर्ति पर संशय के बादल मंडराने लगे। 02 मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन में इसी चिंता को जाहिर करते हुए हिन्दुस्थान समाचार के एक सवाल के जवाब में वायु सेना के वाइस चीफ एयर मार्शल संदीप सिंह ने बताया था कि यूक्रेन से युद्ध का भारत को मिलने वाली एस-400 की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने माना था कि यूक्रेन से युद्ध शुरू होने पर भारत को इस बात की चिंता जरूर हुई थी लेकिन बाद में रूसी रक्षा मंत्रालय ने भरोसा दिया कि भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं। आगे भी बेहतर रहेंगे, इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।

दरअसल, रूसी मूल की हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों पर निर्भरता को देखते हुए भारत अब रूस के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों की वजह से चीन के खिलाफ उच्च परिचालन सैन्य तैयारी बनाए रखने की चुनौतीपूर्ण चुनौती का सामना कर रहा है। मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख में कई चीनी घुसपैठ के बाद भारतीय सशस्त्र बल हथियारों की आपूर्ति और पुर्जों की बड़े पैमाने पर आपातकालीन खरीद की जा रही है। एक सवाल के जवाब में एयर मार्शल सिंह ने यह भी बताया था कि भारत ने एलसीए तेजस मार्क वन, मल्टी रोल फाइटर एयर क्राफ्ट (एमआरएफए) और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के काफी पुर्जे भारत में ही विकसित कर लिये हैं, इसलिए अब विदेशी निर्भरता कम हो गई है।

सैन्य हथियारों की खरीद के मामले में भारत और रूस के रिश्ते बहुत पुराने हैं। रूस से सैन्य हथियार खरीदने की शुरुआत भारत ने 1963 में की थी जब भारतीय वायु सेना ने 1200 से अधिक रूसी मिग-21 खरीदे थे। धीरे-धीरे यह रिश्ते और मजबूत होते गए और 2021 तक भारत ने रूस से 500 हजार करोड़ कीमत के सैन्य हथियारों की खरीद की है। भारत और रूस के सहयोग से विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है जिसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। फिलीपींस ने 414 करोड़ रुपये में भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का सौदा किया है। भारत ने रूस से ही लड़ाकू सुखोई-30 खरीदे हैं जिन्हें भारत में ही अपग्रेड किया जा रहा है। भारत ने रूस से छह लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफल के लिए 5,124 करोड़ रुपये का सौदा किया है।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button