
महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने पर 7 अक्टूबर को अगली सुनवाई
नई दिल्ली- 23 सितंबर। महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के संबंध में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि जब भी आरोपित को मौका मिला, वह महिला पहलवान की लज्जा भंग करने की कोशिश करता था। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि पीड़ित लड़की ने घटना के समय कोई प्रतिक्रिया दी है या नहीं, यह मुद्दा उनके साथ गलत किए जाने का है। मामले में जो भी सबूत और साक्ष्य पेश किए गए हैं, उनके आधार पर आरोपित के खिलाफ आरोप तय किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी महिला के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए के तहत अपराध होता है तो उसके तहत आरोपित को अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि जब भी आरोपित को मौका मिला था वह महिला पहलवान की लज्जा भंग करने की कोशिश करता था।
अतुल श्रीवास्तव ने अलग-अलग एफआईआर दर्ज किए जाने के मुद्दे पर अपनी दलील में गुजरात में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में भी कई एफआईआर अलग-अलग दर्ज की गई थी लेकिन कोर्ट द्वारा सुनवाई एक की ही की गई थी। उन्होंने महिला पहलवान की शिकायत का जिक्र करते हुए कहा कि ताजिकिस्तान के एक इवेंट के दौरान बृजभूषण ने शिकायतकर्ता को कमरे में बुलाया और उसको जबरदस्ती गले लगाया। जब शिकायतकर्ता ने उसका विरोध किया तो बृजभूषण ने कहा कि मैं तुम्हारे पिता के जैसा हूं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि बृजभूषण को पता था वो क्या कर रहे थे। दिल्ली पुलिस ने एक दूसरी महिला पहलवान की शिकायत का हवाला दिया, जिसमें उसने बताया है कि ताजिकिस्तान में एशियन चैंपियनशिप के दौरान बिना उसकी इजाजत के उसकी शर्ट को ऊपर करके उसके पेट पर हाथ फेरा और अनुचित तरीके से छुआ था।
आज सुनवाई के दौरान बृजभूषण शरण सिंह कोर्ट में पेश नहीं हुए। उन्होंने आज पेशी से छूट की मांग की जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। 1 सितंबर को सुनवाई के दौरान महिला पहलवानों की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवर साइट कमेटी नियमों के हिसाब से नहीं बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि जिन आरोपों के तहत चार्जशीट दाखिल हुई उसी के तहत आरोपी के खिलाफ आरोप तय होने चहिए।
11 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के संबंध में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और सांसद बृजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर के खिलाफ आरोप यौन शोषण के पर्याप्त साक्ष्य हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि गले लगाना यौन शोषण के दायरे में नहीं आता है। यह सिर्फ गले लगाने भर का मामला नहीं है, मंशा के ऊपर निर्भर करता है, इसको साबित करने का दबाव आरोपित पर होता है। उन्होंने कहा था कि एक शिकायतकर्ता ने कहा है कि मंगोलिया में जब ओलंपिक क्वालिफिकेशन के लिए गए तो वहां डिनर के समय बृजभूषण सबसे अलग टेबल पर बैठे। वहां पर शिकायतकर्ता को बुलाया गया और बृजभूषण ने उसकी छाती छुआ और अपना हाथ उसके पेट तक ले गए, उसके बाद दोबारा उसकी छाती को छुआ। क्या यह यौन शोषण के दायरे में नहीं आता है। अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि जो घटना देश के बाहर हुई है, उसकी भी एफआईआर कनाट प्लेस थाने में दर्ज हुई है। ऐसे में इसी कोर्ट का क्षेत्राधिकार बनता है।
9 अगस्त को बृजभूषण शरण सिंह की ओर से वकील राजीव मोहन ने दलील देते हुए कहा था कि 6 लोगों द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर चार्जशीट दाखिल की गई। उन्होंने कहा था कि कानून के मुताबिक बृजभूषण शरण सिंह के ऊपर लगाए गए सभी आरोपों पर अलग-अलग जांच और चार्जशीट भी अलग-अलग दाखिल की जानी चाहिए थी जबकि एक मामले में सभी 6 शिकायतकर्ताओं की शिकायतों के आधार पर एक ही चार्जशीट दाखिल कर दी गई। बृजभूषण के वकील ने कहा था कि चार्ज फ्रेम करने के चरण में आरोपित को सुना जा सकता है। उन्होंने कहा था कि पहली शिकायतकर्ता द्वारा बृजभूषण के ऊपर जो आरोप लगाया गया है, उनमें से दिल्ली, बरेली और लखनऊ की तीन घटना ही भारत में हुई, जो कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आते हैं। बाकी देश के बाहर हुई है। ऐसे में विदेश के बाहर की घटनाओं को लेकर जो आरोप लगाया है वह कोर्ट के क्षेत्राधिकार में तब तक नहीं आएगा जब तक अनुमति नहीं ली जाती है। बृजभूषण की ओर से कहा गया कि मंगोलिया, जकार्ता में हुई घटना का ट्रायल भारत में नहीं चल सकता, क्योंकि अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत जहां पर घटना हुई है, ट्रायल भी वहीं होनी चाहिए। मामले में पहली शिकायतकर्ता ने बृजभूषण शरण सिंह के ऊपर कर्नाटक के बेल्लारी में शोषण का आरोप लगाया है। लखनऊ और दिल्ली में अशोका रोड और सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में शोषण की घटना का आरोप लगाया है। उसका ट्रायल भी दिल्ली में नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने 20 जुलाई को बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपित विनोद तोमर को जमानत दी थी। उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। 15 जून को दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह बालिग महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के मामले में चार्जशीट दाखिल किया है।



