बिहार

मधुबनी के दो साहित्यिक हस्ती को मिलेगा साहित्य अकादमी पुरस्कार, डॉ. नारायणजी को बाल कथा-संग्रह अनार के लिए पुरस्कार,रिंकी झा ऋषिका को कविता-संग्रह नदी घाटी सभ्यता के लिए युवा पुरस्कार

मधुबनी- 15 जून। मैथिली के प्रसिद्ध कवि-कथाकार डॉ. नारायणजी को उनके बाल कथा-संग्रह अनार के लिए साहित्य अकादमी का बाल पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई है। वहीं रिंकी झा ऋषिका को उनके कविता-संग्रह नदी घाटी सभ्यता के लिए युवा पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। मधुबनी जिले के घोघरडीहा गांव निवासी डॉ. नारायणजी का पहला कविता-संग्रह 1993 में हम घर घुरि रहल छी प्रकाशित हुआ था। इसके बाद इनके चार और कविता-संग्रह प्रकाशित हुए जो काफी चर्चित हुए। इन्होंने कथाएं भी खूब लिखी। इनके दो कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं, चित्र और साँझबाती। डॉ. नारायणजी ने समीक्षाएँ और बाल कहानियाँ भी लिखी। अनार को बाल साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कहानी-संग्रह माना गया है। चेतना समिति द्वारा माहेश्वरी सिंह महेश पुरस्कार एवं कीर्तिनारायण मिश्र साहित्य सम्मान प्राप्त डॉ. नारायणजी पेशे से किसान हैं। तथा गाँव में रहकर ही देसी-विदेशी साहित्य का अध्ययन करते हैं। साहित्य में होने वाले बदलावों को परखते हुए लेखन करते हैं। बच्चों के मनोभाव और उनके आदर्श को आधार बनाकर लिखी कहानी अनार सबसे पहले बालबन्धु पत्रिका में छपी थी। वहीं जिले के ननौर गांव निवासी रिंकी झा ऋषिका मूलतः कवयित्री हैं। तथा इनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं, नदी घाटी सभ्यता और कठिन समयक विरुद्ध. साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार इनके पहले संग्रह को दिया जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में संलग्न रिंकी झा ऋषिका एक मुखर कवयित्री हैं। इनकी कविताओं में स्त्रियों के मुद्दे,समाज की समस्याएँ,पारंपरिक मूल्यों के स्खलन का प्रतिकार दिखता है।

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