
भारत-चीन के एकसाथ आने पर ही होगा एशिया की शताब्दी का सपना साकार: जयशंकर
नई दिल्ली- 18 अगस्त। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एशिया की शताब्दी का सपना तभी साकार हो सकता है जब भारत और चीन एक साथ आयें। उन्होंने कहा कि यदि भारत और चीन एक साथ नहीं आते हैं तो एशिया की शताब्दी का सपना साकार नहीं हो सकता। जयशंकर ने कहा कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जो कुछ किया उसके कारण द्विपक्षीय संबंध कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं।
थाईलैंड की यात्रा पर गए जयशंकर ने चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय में भारत-प्रशांत क्षेत्र के बारे में भारत की अवधारणा को स्पष्ट किया तथा भारत-चीन संबंध, म्यांमार, रूस और अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दों पर श्रोताओं के सवालों के उत्तर दिए।
म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि जाहिर है कि भारत विभिन्न देशों में लोकतंत्र की हिमायत करता है लेकिन म्यांमार के पड़ोसी देश होने के कारण हमारे सामने कुछ बाध्यताएं हैं तथा हमें सीमा भी संभालनी होती है। उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों का नाम लिए बिना कहा कि दूर स्थित देशों के लिए नसीहत देना आसान है। ऐसे देश मौका पाकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं जैसा कि हमने अफगानिस्तान में देखा।
विदेश मंत्री ने म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में कहा कि हमने इस संबंध में बांग्लादेश से बातचीत की है। महत्वपूर्ण बात यह है कि शरणार्थियों की घर वापसी हो। इस काम में भारत-बांग्लादेश का समर्थन करता है।
जयशंकर ने एक प्रश्न के उत्तर में रूस से कच्चे तेल के आयात की नीति का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे दोहरे मानदंड अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में प्रति एक डॉलर की बढ़ोतरी भारत के नागरिकों की बचत खा सकती है। देशवासियों पर ऐसा बोझ डालना न्यायसंगत नहीं होगा।



