भारत के मुसलमानों से मौलाना अरशद मदनी की अपील,बकरीद पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी और वीडियो साझा करने से बचें

नई दिल्ली- 30 मई। ईद-उल-अज़हा के मौके पर भारत के मुसलमानों के नाम अपने एक संदेश में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि इस्लाम में क़ुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है, यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसकी अदायगी हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है। इसलिए जिस व्यक्ति पर क़ुर्बानी वाजिब है, उसे हर हाल में यह फर्ज़ अदा करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान हालात के मद्देनज़र मुसलमानों से कई तरह कीसावधानी बरतने की भी अपील की है।

मौलाना मदनी ने यह भी सलाह दी कि मुसलमान क़ुर्बानी करते समय सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। प्रतिबंधित जानवरों की क़ुरबानी से बचें। चूंकि, धर्म में इसके बदले काले जानवर की क़ुरबानी भी जायज़ है, इसलिए किसी भी फसाद से बचने के लिए उसी पर इक्तिफाक (संतोष) करना बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी जगह शरारती तत्व काले जानवर की क़ुरबानी से भी रोकते हैं, तो समझदार और प्रभावशाली लोगों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेकर क़ुर्बानी की जाए। अगर फिर भी, ख़ुदा न ख़्वास्ता, इस धार्मिक फर्ज़ की अदायगी का कोई रास्ता न निकले तो पास के किसी ऐसे इलाक़े में क़ुर्बानी कर दी जाए, जहां कोई परेशानी न हो। हालांकि, जहां पर क़ुर्बानी होती आई है और इस समय परेशानी है, वहां कम से कम बकरे की क़ुर्बानी ज़रूर की जाए और उसकी सूचना प्रशासनिक दफ्तर में दर्ज करा दी जाए ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।

जमीअत अध्यक्ष ने देश के मुसलमानों को ईद-उल-अज़हा के मौके पर साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखने की अपील करते हुए कहा कि जानवरों के अवशेषों को सड़कों, गलियों और नालियों में न फेंकें, बल्कि इस तरह से दफ़न किया जाए कि बदबू न फैले। हर मुमकिन कोशिश की जाए कि हमारी किसी हरकत से किसी को तकलीफ न पहुंचे। साम्प्रदायिक तत्वों की ओर से किसी भी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई पर सब्र और संयम का प्रदर्शन करते हुए, मामले की शिकायत स्थानीय थाने में ज़रूर दर्ज करा देंं।

हमें हरगिज़ मायूस नहीं होना चाहिए, बल्कि अल्लाह पर पूरा भरोसा रखते हुए हालात का मुक़ाबला अमन-शांति, प्यार-मुहब्बत और सब्र-सुकून के साथ करना चाहिए।इस मौके पर उन्होंने ने यह भी अपील की कि प्रचार-प्रसार और ख़ासतौर पर सोशल मीडिया पर क़ुर्बानी के जानवरों की तस्वीरें आदि साझा करने से बचा जाए।

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Author: lakshyatak

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