क्राइमबिहार

बिहार में शराब के चक्रव्यूह को तोड़ने में सरकार विफल, सिर्फ 2021 में सौ लोगों की हुई मौत

पटना- 14 नवंबर। शराबबंदी वाले बिहार में पुलिस के आंकड़े शराबबंदी कानून की हकीकत बताने के लिए काफी हैं। इस वर्ष- 2021 में बिहार में 38 लाख लीटर से अधिक शराब जब्त की गयी है। 62 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तथा 100 से ऊपर लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद हर दिन शराब की बड़ी-बड़ी खेप पकड़ी जा रही है।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस महज एक चौथाई मामले पकड़ पाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी बरामदगी के बाद भी शराब तस्करों पर लगाम क्यों नहीं कसी जा सकी। ऐसे कई सवालों से घिरी बिहार पुलिस अब अपनी दाग धुलने में जुटी है।

जहरीली शराब से मौत की बात करें, तो बीते 13 दिनों में बिहार के मुजफ्फरपुर,गोपालगंज-पश्चिमी चंपारण एवं समस्तीपुर जिलों में 49 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है। विपक्ष जहरीली शराब के मुद्दे पर आक्रामक है। राजनीतिक दल सरकार को हर स्तर पर घेरने में जुटे हैं। ऐसे में बिहार पुलिस आंकड़ों से सरकार को बचाने में जुट गई है।

बिहार पुलिस आंकड़ों के माध्यम से यह बताने की कोशिश कर रही है कि राज्य में शराबबंदी कानून प्रभावी है। हालांकि, यही आंकड़े सवाल उठा रहे हैं कि शराब आ कहां से रही है? बिहार पुलिस के मुताबिक इस वर्ष-2021 में जनवरी से अक्टूबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत छापेमारी कर कुल 49,900 मामले दर्ज किए गए हैं। इस दौरान 12,93,229 लीटर देसी एवं 25,79,415 लीटर विदेशी शराब जब्त की गयी है।

बिहार पुलिस के अनुसार 62,140 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। इस दौरान 12,200 वाहनों को भी जब्त किए गए हैं। पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए 62,140 लोगों में 1590 बिहार के बाहर के शराब तस्कर हैं। पुलिस का यह आंकड़ा बता रहा है कि बड़ी कार्रवाई के बाद भी शराब की तस्करी जारी है। अक्टूबर 2021 तक हुई इस कार्रवाई के बाद नवंबर में शराब जहर हुई। तथा बिहार में कई परिवारों पर कहर बनकर टूट पड़ी।

भारतीय पुलिस सेवा (भाप्रसे) के अधिकारी से राज्य सरकार में उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री बने सुनील कुमार के मंत्रालय में अवर मुख्य सचिव आईएएस चैतन्य प्रसाद हैं। चैतन्य प्रसाद के बाद एक्साइज कमिश्नर आईएएस बी.कार्तिकेय धनजी हैं। दो-दो ज्वाइंट सेक्रेटरी एवं डिप्टी कमिश्नर भी हैं। छह से ज्यादा कमिश्नर हैं। राज्य के 38 जिलों में 90 उत्पाद निरीक्षक हैं। एक हजार से ज्यादा थाने हैं। हजारों पुलिसवाले हैं। मंत्री से लेकर संतरी तक मुस्तैद हैं, तो फिर शराब कैसे लोगों तक पहुंच रही है।

यहां तक कि सीएम नीतीश कुमार जिन्होंने पांच वर्ष पूर्व बिहार में शराबबंदी लागू करने का फैसला किया था, वो भी राज्य में फेल दिख रही है। वो कार्रवाई की बात तो जरूर कहते हैं, परंतु कार्रवाई होती नहीं है। बहरहाल, कानून है,तो उसका पालन भी होना चाहिए। लेकिन सरकारी तंत्र पर भारी सिंडिकेट को कैसे ध्वस्त किया जाएगा ये सबसे बड़ा सवाल है। क्योंकि, बिना चैनल को ध्वस्त किए बिना बिहार में शराबबंदी कानून लागू करना बहुत मुश्किल है।

बिहार में शराब तस्करी में कई जिले काफी चर्चा में रहे हैं। इसमें टॉप पर वैशाली रहा है। यहां सबसे अधिक शराब की बरामदगी हुई है, जबकि तस्करों की गिरफ्तारी में पटना आगे रहा है। क्योंकि, राजधानी में शराब की होम डिलेवरी जारी है। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में शराब की खेप एवं तस्करों की सक्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ी है। शराब तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए पूरे वर्ष घेराबंदी की गई। इसके बावजूद बिहार के जिलों में शराब की तस्करी जारी है। जब जहरीली शराब से मौतों के मामले सामने आए हैं, तब सरकार गंभीर हुई है।

अब देखना होगा कि राज्य सरकार जमीनी स्तर पर बिहार में शराबबंदी कानून को अमली जामा पहनाने में कामयाब होती है या बिहार में शराबबंदी कानून महज कागज़ी खानापूर्ति ही बनकर रह जाती है या फिर जमीनी स्तर पर कार्रवाई होती है, यह तो अब आने वाला समय ही बताएगा!

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