बिहार में पहली बार बड़े ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

पटना/फुलवारी शरीफ- 25 फरवरी। अखिल भारती आयुर्विज्ञान संस्थान ,पटना बिहार में पहली बार पेट में बन रहे बड़े ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया। पटना एम्स में स्त्री व प्रसूति रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर इंदिरा कुमार की टीम ने एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के पेट में बन रहा बड़ा ट्यूमर को तीन घंटों तक चले कठिन ऑपरेशन कर सफलतापूर्वक बाहर निकाला और मरीज को नई जिंदगी प्रदान की।

इस ऑपरेशन को लेप्रोस्कोपी दूरबीन से विधि द्वारा किया गया। ट्यूमर को निकालने के लिए डॉक्टरों ने लड़की के नाबालिग होने के चलते नाभी के जरिए ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी की। ऑपरेशन से पहले पीड़ित लड़की की पूरी जांच भी करायी गयी ताकि डॉक्टरों को पता चल सके कि इतना बड़ा ट्यूमर कैंसर का रूप तो नहीं ले रहा।

पटना की रहने वाली एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की पिछले एक साल से पेट में असहनीय दर्द से परेशान थी। आर्थिक तंगहाली और गरीबी परिवार से आने वाली लड़की के बढ़ते पेट को देखकर परिवार और समाज कई तरह की बातें होने लगी थीं। लोगों को लग रहा था कि लड़की गर्भवती है।हालांकि इसके बावजूद लड़की ने साहस और हिम्मत का परिचय देते हुए किसी तरह पटना एम्स पहुंची और स्त्री व प्रसूति रोग विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इंदिरा कुमार से मिली।

पटना एम्स की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इंदिरा कुमार ने बताया कि लड़की नाबालिग थी और उसका पेट लगातार फूलता जा रहा था। गरीबी की वजह से लड़की के परिजन किसी तरह की जांच कराने में असमर्थ थे। इससे ट्यूमर के स्वरूप का पता नहीं चल पाया था। पटना एम्स में ऑपरेशन के पहले पीड़िता की जरूरी टेस्ट कराने के बाद लेप्रोस्कोपी विधि से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया।

केस काफी चैलेंजिंग था, ट्यूमर से निकला 15-16 लीटर पानी—

डॉ इंदिरा कुमार ने बताया कि यह काफी चैलेंजिंग केस हमारे सामने आया था। उन्होंने बताया कि बिहार में यह संभवत पहली बार इतना बड़ा ट्यूमर का ऑपरेशन किया गया है। उन्होंने बताया कि करीब 15 से 16 लीटर ट्यूमर से पानी निकाला गया है। यह ट्यूमर एक विशाल ओवेरियन सिस्ट (36 सप्ताह के ग्रेविड गर्भाशय से बड़ा) आकार का था। लड़की पिछले एक साल से सांस लेने में तकलीफ, एनोरेक्सिया और वजन कम होने के तकलीफों से परेशान थी।

मरीज को पेट के भारी फैलाव के साथ गायनी ओपीडी में लाया गया था। जांच उपरांत नियोप्लासिया की संभावना पर संदेह करते हुए मैंने एक अल्ट्रासाउंड किया और पेट के अंगों पर बड़े पैमाने पर एक बड़ा एब्डोमिनो-पेल्विक सिस्टिक घाव पाया। हमने तुरंत मरीज को सीईसीटी के लिए भेजा साथ ही कैंसर के लिए रक्त की जांच भी की गई। हालांकि, जैसा कि सीटी से पता चला कि घाव में कोई ठोस घटक नहीं था। अविवाहित स्थिति और सिस्ट को ध्यान में रखते हुए मैंने इस रोगी में एक विशाल सिस्ट के साथ लैप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी किया। मैंने ट्रोकार को खुली तकनीक से सीधे पुटी में रखा और 15.5 लीटर साफ पानी वाला सिस्ट फ्लूइड निकल गया। हालांकि मरीज अभी भी डॉक्टरों की निगरानी में है।

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Author: lakshyatak

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