बिहार

बिहार में निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट की रोक के बाद सियासत में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

पटना- 04 अक्टूबर। बिहार में नगर निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट की रोक के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि अति पिछड़ों को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण से वंचित करने के लिए नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग और एडवोकेट जनरल बार-बार बता रहे थे कि ट्रिपल टेस्ट के बिना चुनाव कराना ठीक नहीं है लेकिन वे नहीं माने। उनकी जिद की वजह से चुनाव नहीं हो पाएगा। एक से डेढ़ साल का इंतजार करना पड़ेगा।

उधर, जदयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पटना हाई कोर्ट की तरफ से जो आदेश दिया गया है कि अति पिछड़ा का आरक्षण समाप्त होना चाहिए। चुनाव को रद्द करके फिर नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे। उच्च न्यायालय का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी की यह गहरी साजिश है। आरक्षण जो मिला हुआ है और अलग-अलग राज्यों में जो आरक्षण देने की बात चल रही है, उसके लिए कोर्ट ने कहा है इसको तीन टेस्ट से जांचने की जरूरत है। तब आरक्षण देना चाहिए। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी चाह रही है कि आरक्षण को समाप्त किया जाए।

बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने कहा जो आरक्षण पर रोक लगा है उससे यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार की जिद पर यह राज्य चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज से छह महीना पहले आदेश दिया था कि आप कमेटी बनाइए लेकिन कमेटी का गठन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अति पिछड़े विरोधी हैं। वे अति पिछड़ों का सम्मान नहीं करते हैं। नीतीश कुमार कहते हैं कि 2005 में कमेटी बनाया था। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। नीतीश कुमार की जिद से बिहार नहीं चल सकता।

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