नई दिल्ली- 19 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट बिहार में जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 27 जनवरी को सुनवाई करेगा। आज वकील वरुण सिन्हा ने मामले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन किया। तब चीफ जस्टिस ने 27 जनवरी को याचिकाओं पर सुनवाई करने का आदेश दिया। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया था।
एक याचिका में हिंदू सेना ने कहा है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता एवं एकता को तोड़ना चाहती है। हिंदू सेना की ओर से वकील मुदित कौल ने याचिका दायर की है। दूसरी याचिका अखिलेश कुमार ने दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। याचिका में जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है।
याचिका में सात बिंदुओं को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया गया है। पहला कि क्या बिहार सरकार की जातिगत जनगणना कराने की कार्यवाही संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। दूसरा कि क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत जनगणना करवाए जाने का अधिकार देता है। तीसरा कि क्या 6 जून, 2022 को बिहार सरकार के उप सचिव की अधिसूचना जनगणना कानून 1948 के खिलाफ है। चौथा कि क्या कानून के अभाव में जाति जनगणना की अधिसूचना राज्य को कानूनन अनुमति देती है।
याचिका में पांचवां मुद्दा उठाया गया है कि क्या राज्य सरकार का जातिगत जनगणना कराने का निर्णय सभी राजनीतिक दलों की सहमति से लिया गया है। छठा कि क्या जाति जनगणना के लिए राजनीतिक दलों का निर्णय सरकार पर बाध्यकारी है। सातवां कि क्या बिहार सरकार का 6 जून, 2022 का नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के अभिराम सिंह के मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है।