
बिना स्वार्थ के उच्च शिक्षण संस्थान खोलने से बड़ा कोई समाज सेवा नहीं: प्रो केसी सिन्हा
रोहतास-25 फरवर। सोन आराधना के 14 वें संस्करण के तहत राधा शांता महाविद्यालय,तिलौथू में शुक्रवार को सोन आराधना सह विपिन बिहारी सिंह स्मृति व्याख्यान समारोह का आयोजन किया गया। जिस के मुख्य अतिथि के रूप में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा सह नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी पटना के कुलपति प्रो डॉ के सी सिन्हा तथा विशिष्ट अतिथि बीएचयू के गणित विभागाध्यक्ष प्रो डॉ श्याम लाल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के सचिव रंजीत सिन्हा ने किया। विपिन बिहारी सिंह स्मृति व्याख्यानमाला में स्वागत उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने किया। सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन एवं एवं विपिन बिहारी सिंह के प्रतिमा पर पुष्पअर्पित कर मंचासीन सम्मानित अतिथियों ने कार्यक्रम की शुरुआत किया। सम्मानित अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह देकर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने सम्मानित किया। मंच का संचालन महाविद्यालय की छात्रा सुप्रिया कुमारी ने की। प्राचार्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने स्व विपिन बिहारी सिंह के जीवनी एवं कृतियों को रखा ।वही बीएचयू के डॉ श्याम लाल ने मैथमेटिक्स को सरल तरीके से जोड़कर पढ़ाने के कई तरीकों को काफी रोचक ढंग से बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो डॉ के सी सिन्हा ने कहा कि ऐसे विभूति समाज को कम ही मिलते हैं जो समाज के लिए जीते हैं और समाज के लिए कुछ कर गुजरते हैं। वैसे ही विभूतियों में से एक थे,विपिन बिहारी सिंह। अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा के विकास के लिए इन्होंने अपना नि:शुल्क जमीन एवं सभी संसाधनों को देकर महाविद्यालय का स्थापना कराया, यह बहुत बड़ी बात है। नि:शुल्क रूप से उच्च शिक्षण संस्थान खोलना और और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों खासकर लड़कियों के उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज खोलना इससे बड़ा कोई समाज सेवा नहीं है। किसी भी ऐसे शिक्षण संस्थानों से हजारों लोग अनेक क्षेत्रों में अलग-अलग अनेकों क्षेत्रों में सेवा कर अपनी परचम लहरा रहे होंगे। इसलिए इससे बड़ा कोई समाज सेवा नहीं हो सकता। साथ ही उन्होंने उन्होंने गणित की बारीकियों को भी बहुत इस सरल एवं सारगर्भित रूप से आसन तरीके से छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को कई मुद्दों पर मार्ग दर्शन किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं गणित का विद्यार्थी रहा हूं और एक भारतीय हूं पर इसलिए यह नहीं कह रहा हूं, लेकिन मेरा मानना है कि भारत का गणित के क्षेत्र में अधिक ही नहीं सबसे अधिक योगदान है। आर्यभट्ट ने जहां ‘जीरो’ दिया वही रामानुजन ने ‘इंफिनिटी’ के बारे में जो बताया उससे अधिक आज तक विश्व के किसी भी गणितज्ञ नहीं बता पाया।
इनफिनिटी कोई संख्या नहीं है,प्रथम बार रामानुजन ने इंफिनिटी को परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि गणित का एक बहुत बड़ा गुण है कि आप गलती करने दीजिए और जो कहेगा वह गणित साबित कर देगा। उन्होंने इनफिनिटी को पूरे गणित का आधार बताया। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के स्टडी सेंटर में वीसी का किया गया स्वागत-राधा शांता महाविद्यालय तिलौथू में स्थापित नालंदा खुला विश्वविद्यालय स्टडी सेंटर 236 के कार्यालय का भी माननीय कुलपति प्रो डॉ के सी सिन्हा ने अवलोकन किया तथा पिछले 4 महीना से खुले इस स्टडी केंद्र पर एक सौ से अधिक नामांकन होने पर संतोष जाहिर किया। स्टडी सेंटर के कार्यालय में कोऑर्डिनेटर डॉ अनिल कुमार सिंह ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। वही कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण रंजीत सिन्हा द्वारा किया गया। उन्होंने विपिन बाबू के बारे में बहुत सारी बातों को बताया। मुख्य रूप से उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा था कि मैं ढिबरी और बैलगाड़ी युग से आज मोटर कार की युग में जा रहा हूं। इसलिए मेरे मरने के बाद कभी शोक मत मनाना । मेरी जीवन को एक उत्सव के रूप में मनाना। इसलिए उनके पुण्य तिथि को प्रत्येक वर्ष 2 से 3 दिनों के लिए सोन आराधना के माध्यम से उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मौके पर एसपी जैन कॉलेज सासाराम के प्राचार्य डॉ गुरुचरण सिंह, डॉ महेंद्र पांडे,जेएलएन कॉलेज डेहरी के प्राचार्य डॉ जितेंद्र कुमार सिंह आजाद,डॉ महेंद्र सिंह,डॉ वीरेंद्र शंकर सिंह, तिलौथू महिला मंडल सचिव रंजना सिन्हा,अमलतास बी एड कॉलेज के सलोनी सिन्हा,भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रो कन्हैया कुमार सिंह,प्रो डॉ अनिल कुमार सिंह,पूर्व मुखिया जगनारायण सिंह,भाजपा जिला प्रवक्ता संजय तिवारी,महामंत्री शशि भूषण प्रसाद,राकेश सिन्हा,ओमप्रकाश ब्याहुत,रंजीत साहू, हंसराज कुमार सहित काफी संख्या में क्षेत्र के गणमान्य लोग बुद्धिजीवी , शिक्षक एवं छात्र छात्राएं,एनसीसी कैडेट्स मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सच्चिदानंद सिन्हा ने किया। विदित हो कि कुलपति प्रो के सी सिन्हा द्वारा लिखित नवम वर्ग से लेकर एवं उच्च वर्ग तक गणित की पुस्तक काफी लोकप्रिय हैं। जिन्हें क्षेत्र के लगभग सभी लोगों ने पढ़ा है, परंतु उन्हें देखा नहीं था,उन्हें देखने एवं सुनने के लिए पूरे डेहरी अनुमंडल क्षेत्र के कई विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के छात्र छात्राएं मौजूद थे।



