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बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिए दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर रोक लगाने के निर्देश

नई दिल्ली- 16 जनवरी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर कथित तौर पर गैरकानूनी और भ्रामक फतवा पब्लिश करने के मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में आयोग ने सहारनपुर के जिला मेजिस्ट्रेट को पत्र लिखा है।

बाल अधिकारों से जुड़े आयोग ने शनिवार को मुख्य सचिव को इस तरह की भ्रामक जानकारी हटाए जाने तक दारुल उलूम की वेबसाइट पर रोक लगाने को कहा है।

एनसीपीसीआर ने अपने वक्तव्य में कहा है कि उसे एक शिकायत मिली थी कि देश के कानूनों के खिलाफ वेबसाइट पर कुछ फतवे हैं। इस शिकायत की जांच करते हुए यह पाया गया कि शिकायतकर्ता के उठाए गए मुद्दे सही हैं। आयोग का कहना है कि इस तरह के वक्तव्य बाल अधिकारों के विरुद्ध हैं और सबके के लिए उपलब्ध वेबसाइट की यह जानकारी हानिकारक हो सकती है।

इस संबंध में राज्य सरकार से अनुरोध है कि वेबसाइट की पूरी तरह से जांच की जाए और इस तरह का कोई भी सामग्री हो तो उसे तुरंत हटाया जाए। साथ ही इस तरह की सामग्री हटाए जाने तक वेबसाइट तक पहुंच बंद की जाए। इस संबंध में राज्य सरकार से संविधान, भारतीय दंड संहिता, किशोर न्याय अधिनियम और शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सभी जरूरी कदम उठाए जाने के लिए कहा गया है।

आयोग के अनुसार वेबसाइट पर एक प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चे के पास असल बच्चे जैसे अधिकार नहीं हो सकते। गोद लिये बच्चे के व्यस्क होने के बाद मां को उससे पर्दा करना चाहिए। इसी तरह के फतवे स्कूल ड्रेस, पाठ्यक्रम, गैर-इस्लामिक वातावरण और अन्य विषयों पर हैं।

आयोग का कहना है कि दारुल उलूम के बहुत से फोलोअर हैं। उन तक यह जानकारी भ्रामक और देश की ओर से दिए गए बाल अधिकारों के खिलाफ है।

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