
फर्जी चिकित्सक प्रकरण में 3 कर्मचारी गिरफ्तार
देहरादून- 04 फरवरी। देहरादून के नेहरू कॉलोनी पुलिस ने फर्जी चिकित्सक प्रकरण में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड (देहरादून) में नियुक्त 3 कर्मचारियों को मोहरें, लिफाफे और दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में अब तक कुल 11 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं।
यह जानकारी शनिवार को एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने अपने कार्यालय में पत्रकारों को जानकारी दी। उन्हाेंने बताया कि थाना नेहरू कॉलोनी पर पंजीकृत मुकदमा के तहत गठित विशेष जांच दल की ओर से भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड (देहरादून) में नियुक्त तीन कर्मचारियों विवेक रावत, अंकुर महेश्वरी और विमल प्रसाद को पूछताछ के लिए थाना में बुलाया गया था। पूछताछ में इन तीनों ने इमलाख के साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बांटने और फर्जी पंजीकरण की बात स्वीकार की।
इन्हाेंने बताया कि इमलाख किसी को बीएएमएस की डिग्री देने के बाद चिकित्सा परिषद में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करता था और सम्बंधित इंस्टीट्यूट के प्रमाण पत्र, लिफाफे आदि हमें सीधे उपलब्ध कराता था, जिस पर हम लोग ही पत्राचार, पता इत्यादि का अंकन, पृष्ठांकन स्वयं ही करते थे। इसके बाद रजिस्ट्रेशन की प्रति स्वयं ही इमलाख को उपलब्ध करा देते थे।
कनिष्ठ सहायक विमल बिजल्वाण,वैयक्तिक सहायक विवेक रावत और अंकुर महेश्वरी के माध्यम से सारे कागज जमा होते थे। फिर हम लोग ही वेरिफिकेशन फाइल तैयार कर जिस यूनिवर्सिटी की डिग्री होती थी, उस यूनिवर्सिटी और राज्य की डिग्री होती थी, उस बोर्ड में भी वेरफिकेशन के लिए फाइल डाक से भेजते थे। फाइल में हम लोग कुछ न कुछ कमी रखते थे, जिससे यूनिवर्सिटी वाले उक्त फाइल को वापस नही करते थे।
डाक से भेजने के कुछ दिन बाद इमलाख कर्नाटक, बिहार और राजस्थान आदि स्थानों पर जाता था और फिर इमलाख कूटरचित तरीके से फर्जी एनओसी तैयार करवाता था। जिसे वह उसी यूनिवर्सिटी के बाहर और उसी राज्य से वापस चिकित्सा परिषद के लिए डाक से पोस्ट करता था और जब यही फाइल चिकित्सा परिषद देहरादून में पहुंचती थी। इसके बाद उस फर्जी एनओसी के आधार पर ही हम उनका रजिस्ट्रेशन चिकित्सा परिषद में करवा देते थे। हम लोगों को इस काम के प्रति वेरिफिकेशन और एनओसी के हिसाब से 60,000 रुपये मिलते थे। इस काम में जो भी पैसे हमें मिलते थे, उसे हम लोग आपस में बांट लेते थे।
उन्होंने बताया कि विवेक रावत, अंकुर महेश्वरी और विमल प्रसाद से अलग-अलग राज्यों के कॉलेजों के लिफाफे और कॉलेजों की फर्जी मोहरें और भारतीय चिकित्सा परिषद के संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। इसमें इमलाख मास्टरमाइंड है। किसी को बीएमएस की डिग्री देने के बाद चिकित्सा परिषद में पंजीकरण के लिए आवेदन करता था और संबंधित इंस्टिट्यूट के प्रमाण पत्र लिफाफे आदि सीधे उपलब्ध कराता था।
इस केस में अभी तक 11 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं और अन्य संदिग्ध अभियुक्तों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई जा रही हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम का गठन भी किया गया है।



