भारत

प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण में सुरक्षित है हमारा भविष्य: PM मोदी

भोपाल- 17 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में नेशनल पार्क कूनो में अफीक्रा के नामीबिया से लाये गये चीतों को छोड़कर देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत में चीतों की वापसी से अब जैव विविधता की टूटी कड़ी पुन: जुड़ गई है। भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जाग्रत हो गई है। प्रकृति और पर्यावरण के सरंक्षण में ही हमारा भविष्य सुरक्षित है। उन्होंने राष्ट्रीय अभयारण्य में चीतों को छोड़ कर देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर दुनिया की पहली बड़े जंगली मांसाहारी जीव की अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण परियोजना का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आज सौभाग्य से हमें दशकों पहले जैव-विविधता की टूटी और विलुप्त कड़ी को जोड़ने का फिर से मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आया है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। अमृत में तो वो सामर्थ्य होता है, जो मृत को भी पुनर्जीवित कर देता है। मुझे खुशी है कि आजादी के अमृतकाल में कर्तव्य और विश्वास का ये अमृत हमारी विरासत को, हमारी धरोहरों को और अब चीतों को भी भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्रीगण नरेन्द्र सिंह तोमर, भूपेन्द्र यादव, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अश्विनी चौबे, प्रदेश के वनमंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह की मौजूदगी में लीवर घुमाकर चीतों को मुक्त किया। मुक्त होते ही चीते सुरक्षा के लिहाज से तैयार किये गये बाड़े में विचरण करने लगे।

प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया कि चीतों को यहां के वातावरण में ढ़लने के लिए समय देना है। तब तक हमें धैर्य रखना होगा। उन्होंने देशवासियों से आग्रह करते हुए कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य पूर्वक इंतजार करना होगा। चीते हमारे मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा। अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स का पालन करते हुए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में इन चीतों को बसाने के पूरे प्रबंध किये गये हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में भारत में सिर्फ 3 चीते शेष थे। शिकार हो जाने से उनका अस्तित्व खत्म हो गया और 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया। तबसे अब तक देश में फिर से चीतों के पुनर्वास के कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए थे। भारत की धरती पर चीतों के पुनर्वास के लिए नामीबिया, साउथ अफ्रीका सहित भारत के वैज्ञानिकों और विषय-विशेषज्ञों के शोध के बाद तैयार विस्तृत चीता एक्शन प्लान को परिणाम मूलक बनाया गया।

ईको सिस्टम पुनर्जीवित होगा—

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विकास और समृद्धि के लिए प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण भी जरूरी है। इसी से हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। दुनिया जब प्रकृति और पर्यावरण की ओर देखती है तो सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात करती है। हमारे लिए प्रकृति, पर्यावरण, पशु-पक्षी सिर्फ सस्टेनेबिलिटी और सिक्युरिटी न होकर सेन्सीबिलिटी और स्पीरिचुअलिटी के आधार भी हैं। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। उन्होंने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में जब चीते फिर से दौड़ेंगे तो मैदानी ईको-सिस्टम फिर से पुनर्जीवित होगा, जैव विविधता बढ़ेगी, ईको-टूरिज्म बढ़ेगा, विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी और क्षेत्रवासियों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

गत 8 वर्ष में जुड़े 250 नये संरक्षित वन क्षेत्र—

मोदी ने कहा कि आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकोनॉमी और ईकोलॉजी परस्पर विरोधाभासी नहीं हैं। वर्ष 2014 के बाद देश में करीब ढाई सौ नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं। वन क्षेत्र का निरंतर विस्तार हो रहा है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। आज हम विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। हमारे यहाँ एशियाई शेरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। देश में टाइगर की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हमने तय समय से पहले हासिल किया है। असम में आज एक सींग वाले गैंडो की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिनका एक समय अस्तित्व खतरे में आ गया था। हाथियों की संख्या भी बढ़ कर पिछले वर्षों में 30 हजार से ज्यादा हो गई है। आज देश में 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्ष में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।

फोटोग्राफी और चीता मित्रों से किया संवाद—

प्रधानमंत्री ने भारत भूमि पर 70 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद पुनर्स्थापित किये जाने वाले चीतों की मुक्ति के एतिहासिक पलों को अपने कैमरे से कैद किया। उन्होंने चीतों की सुरक्षा के लिए तैनात किये गये चीता मित्रों से संवाद भी किया। चीतों की सुरक्षा के लिए आसपास के 10 गांव के 457 चीता मित्र तैनात किये गये हैं।

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