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पाकिस्तान के बाद चीन ने भी नई दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भाग लेने से किया इनकार

नई दिल्ली- 08 नवम्बर। भारत की ओर से अफगानिस्तान के हालात पर क्षेत्रीय देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक नई दिल्ली में 10 नवंबर बुधवार को आयोजित होगी। इस बैठक में तालिबान के तालुकात पैरोकार पाकिस्तान एवं चीन भाग नहीं ले रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की ओर से बुलाई गई‘अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद’ में भारत सहित आठ देश भाग लेंगे। अफगानिस्तान के पड़ोसी अथवा आसपास के देश रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेंगे।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ ने यह कहते हुए बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था कि ‘हालात बिगाड़ने वाला देश (भारत) शांति का प्रयास नहीं कर सकता।’

दूसरी ओर, चीन ने बैठक की तिथियों को लेकर हो रही कठिनाई को आधार बनाकर इसमें भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के हालात पर भारत के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर बातचीत करने के लिए तैयार है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान के हालात पर आयोजित संवाद में तालिबान को आमंत्रित नहीं किया गया है। बैठक में भाग लेने वाले देशों में से किसी ने भी तालिबान को अफगानिस्तान की वैध हुकूमत नहीं माना है। नई दिल्ली में होने वाली यह बैठक इस श्रृंखला की तीसरी बैठक है। इसके पहले 2018 और 2019 में ऐसी बैठकें ईरान ने आयोजित की थी।


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की इस बैठक में अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और हाल के घटनाक्रम का लेखा-जोखा लिया जाएगा। अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाली सुरक्षा चुनौतियों पर विचार विमर्श के अलावा देश में शांति और स्थायित्व कायम करने तथा अफगान आवाम की सहायता करने के उपायों पर विचार किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। भारत ने पाकिस्तान के इनकार को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सूत्रों के अनुसार सुरक्षा संबंधी यह संवाद क्षेत्रीय देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से अलग है। यह बैठक सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर केन्द्रित है। बैठक में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के बारे में साझा रणनीति पर विचार होगा।


बैठक में अफगानिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद और सीमापार आतंकवाद के साथ ही मजहबी कट्टरता और जिहादी विचारधारा पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा होगी। अफगानिस्तान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में मादक द्रव्यों के उत्पादन और तस्करी को लेकर भी चिंतित हैं। सेना द्वारा छोड़े गए हथियारों की आतंकवादी गुटों के खतरे के बीच के बारे में भी पड़ोसी देश चिंतित हैं।

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