
पकिस्तान में हिन्दुओ की आस्था पर बड़ा हमला, सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में की तोड़ फोड़ मूर्ति खंडित की
अगस्त 5 : पाकिस्तान के अंदर आज भी हिंदू आबादी सुरक्षित नहीं है आए दिन किसी न किसी प्रकार की प्रताड़ना उन्हें दी जाती है कभी हिंदू लड़कियों को उठा कर जबरन शादी कर दी जाती तो कभी उनके साथ बलात्कार करके मार दिया जाता है अभी हाल ही में हिंदुओं की आस्था पर हमला किया है पाकिस्तान में एक बार फिर कट्टरपंथियों ने सिद्धिविनायक गणेश मंदिर पर हमला करके उसमें तोड़फोड़ की वहां पर लगी गणेश की प्रतिमा को पूरी तरह से जोड़ दिया गया तथा वहां पर लगे झूमर कांच आदि को तोड़ दिया गया यह मामला पंजाब के भोंग शहर का है पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का जो हाल है वह हाल शायद किसी भी देश में नहीं है थोड़े दिन पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी पाकिस्तान को इस बात के लिए लताड़ लगाई थी
पाकिस्तान में समाज विशेष द्वारा की जा रही इस प्रताड़ना को बढ़ावा देने में वहां की सरकार का भी अहम रोल है क्योंकि वह अल्पसंख्यकों का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखती वहां पर उनके अधिकार बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के नेता और हिंदू पंचायत के संरक्षक जय कुमार धीरानी ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ‘जिले के भोंग शरीफ में मंदिर पर हुए इस नृशंस हमले की कड़ी निंदा करता हूं। यह हमला पाकिस्तान के खिलाफ साजिश है। मैं अधिकारियों से दोषियों को सलाखों के पीछे डालने का अनुरोध करता हूं।’
आए दिन होती हैं ऐसी घटनाएं
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सौ से अधिक लोगों की भीड़ ने एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी थी। घटना करक जिले के टेरी गांव की थी, जहां स्थानीय मौलवियों की अगुवाई में भीड़ ने मंदिर को नष्ट कर दिया था। इस मामले में कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी के नेता रहमत सलाम खट्टक समेत 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
1947 में पाकिस्तान में थे 428 बड़े मंदिर
ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट के एक सर्वे के मुताबिक बंटवारे के वक्त पड़ोसी देश में कुल 428 बड़े मंदिर थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती चली गई। मंदिरों की जमीनों पर कब्जा कर लिया गया। दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए। आज आलम ये है कि यहां सिर्फ 20 बड़े मंदिर बचे हैं।
3 फीसदी से भी कम बचे हैं हिंदू
बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 15 फीसदी थी। हुकूमत की दमनकारी नीतियों और कट्टरपंथियों के हमलों से यह आंकड़ा लगातार कम होता चला गया। जबरन धर्म परिवर्तन इसकी सबसे बड़ी वजह रही है। जो हिंदू बचे हैं उन्हें लगातार कट्टरपंथियों के हमले झेलने पड़ रहे हैं। आज स्थिति यह है कि यहां 3 फीसदी से भी कम हिंदू आबादी बची है।