दंतेवाड़ा- 07 दिसंबर। जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात दंतेश्वरी फाइटर्स का नेतृत्व करने वाली डीएसपी अंजू कुमारी का कहना है कि नक्सलवाद के खिलाफ वातावरण बनाने और मनोवैज्ञानिक लड़ाई में महिला कमांडो की विशेष भूमिका है। नक्सली जब मुठभेड़ के दौरान महिलाओं को आगे करते हैं तो ऐसे में हमारी महिला फाइटर्स उन्हें समझाती हैं। वे गांव वालों को हथियार के बदले विकास के रास्ते पर अपने बच्चों को भेजने की सलाह भी देती हैं।
दंतेश्वरी फाइटर्स में शामिल महिला कमांडो जिन्होंने बचपन से नक्सलियों की प्रताड़ना को अपनी आंखों से देखा है। जिन्होंने अपना घर नक्सलियों के हांथो टूटते देखा है। इनमें से कई कई महिलाओं के पिता या पति को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया था। उनका बदला लेने के लिए अब ये महिलाएं नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा लेने तैयार हो गई हैं।उनमें से एक फूलो मरकाम की कहानी भी कुछ इसी तरह है।उनकी छोटी बहन को मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने 2017 में मार दिया था। वह नक्सलियों से बदला लेने के लिये इस फोर्स में शामिल हुई है। अब उनके परिवार में केवल मां और तीन बहनें हैं, वे सब फूलो के साथ ही रहती हैं। ताकि वे सब सुरक्षित महसूस कर सकें।
दंतेश्वरी फाइटर्स में शामिल महिला कमांडो में कुछ आत्मसमर्पित महिला नक्सली भी हैं। इसमें से एक सुंदरी कोर्राम 15-16 वर्ष की उम्र से ही नक्सली संगठन से जुड़ गई थी। अपने पति के साथ सुंदरी ने 2014 में आत्मसमर्पण कर दिया था और अब दोनों पुलिस में हैं। अब उनके परिवार में सिर्फ एक भाई है लेकिन वे उनसे मिल नहीं सकतीं। सुंदरी कहती हैं कि अब वे लोगों को समझाती हैं कि हथियार की बजाये शांति और विकास के रास्ते पर चलना ही उचित है।