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लगातार 2 ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं ‘पी वी सिंधु’

2 अगस्त  : भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु ने आज टोक्यो ओलंपिक में महिला एकल मैच में कांस्य पदक जीता। पी वी सिंधु ने कांस्य पदक मैच में चीन की ही बिंग जियाओ को 21-13 और 21-15 से हराया और इस जीत के साथ सिंधु दो ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। सिंधु ने रियो 2016 में रजत पदक जीता था। पहलवान सुशील कुमार दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले और एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और देश के कोने-कोने से लोगों ने पी वी सिंधु को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

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राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द ने सिंधु की जीत पर उन्हें बधाई दी। श्री कोविन्द ने ट्वीट किया, ”पी वी सिंधु दो ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं हैं। उन्होंने निरंतरता, समर्पण और उत्कृष्टता का एक नया पैमाना स्थापित किया है। भारत को गौरवान्वित करने के लिए उन्हें मेरी ओर से हार्दिक बधाई।”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधु को उनके प्रदर्शन के लिए बधाई दी। श्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया, “पी वी सिंधु के उत्कृष्ट प्रदर्शन से हम सभी गर्वित हैं। टोक्यो 2020 में कांस्य पदक जीतने पर उन्हें बधाई। वे भारत की गौरव हैं और हमारे सबसे उत्कृष्ट ओलंपिक खिलाड़ियों में से एक हैं।”

पी वी सिंधु को बधाई देते हुए खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने ट्वीट किया, “पी वी सिंधु की ज़बरदस्त जीत!!! आपने इस गेम पर पूरा दबदबा बनाए रखा और इतिहास रच दिया #Tokyo2020! दो बार की ओलंपिक पदक विजेता! भारत को आप पर बहुत गर्व है और आपकी वापसी का इंतजार है! आपने कर दिखाया!”

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पी वी सिंधु एक रजत पदक विजेता (रियो 2016 ओलंपिक) हैं। उनके माता-पिता दोनों राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। उनके पिता को अर्जुन पुरस्कार मिला हुआ है। पी वी सिंधु ने महबूब अली के मार्गदर्शन में 8 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था और सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्युनिकेशंस के बैडमिंटन कोर्ट में बैडमिंटन की बुनियादी बातें सीखीं। ये खेल सीखने और इसकी प्रैक्टिस करने के लिए पी वी सिंधु अपने घर से बैडमिंटन कोर्ट तक आने-जाने के लिए रोज़ 56 किलोमीटर की दूरी तय करती थीं। फिर वे पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में शामिल हुईं और 10 साल की श्रेणी में कई खिताब जीते।

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