नई दिल्ली- 18 अगस्त। बुखार की दवा डोलो-650 की अनुशंसा करने के लिए इस दवाई को बनाने वाली फार्मा कंपनी ने डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार वितरित किए हैं। इस बात की सूचना आज सुप्रीम कोर्ट को फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया(F.M.R.A.I) ने दी।
एफएमआरएआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि डोलो-500 की कीमतें नियंत्रित की जाती हैं लेकिन डोलो-650 की कीमत निर्माता कंपनी तय करती है। ऐसे में फार्मा कंपनी ने एक हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार डॉक्टरों को दिए ताकि वे इस डोलो-650 की अनुशंसा करें और दवा निर्माता कंपनी को ज्यादा मुनाफा हो। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर मामला है। हमें जब कोरोना हुआ था तो डोलो-650 दिया गया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो इस पर अपना जवाब दाखिल करें।
11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फार्मा कंपनियों की ओर से डॉक्टरों को दिए जाने वाले गिफ्ट और महंगे उपहारों को रेगुलेट करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। वर्तमान में फार्मा कंपनियों की ओर से डॉक्टरों को गिफ्ट देने के लिए डॉक्टरों को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है।
याचिका में मांग की गई है कि महंगे उपहारों के लिए फार्मा कंपनियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाए। इसके पहले एक दूसरी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डॉक्टरों को महंगे उपहार देना कानूनसम्मत नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को महंगे गिफ्ट देकर कानून से भाग नहीं सकती हैं।